'1 सितंबर तक का अल्टिमेटम...', राहुल गांधी को EC की खुली चुनौती; वोट चोरी के हर आरोपों पर दिया जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि एक मतदाता केवल एक बार वोट डाल सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया है। उन्होंने कहा कि मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रतिबंधित है क्योंकि इससे मतदाता की निजता का उल्लंघन हो सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाधी के वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलकर सारे आरोपों पर जवाब दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एक मतदाता सिर्फ एक ही बार वोट डाल सकता है।
चुनाव आयोग के मुख्य चुानव आयुक्त ने कहा कि अगर मतदाता सूची में कोई गलती है तो उसे सुधारने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया गया है। राहुल गांधी के आरोपों पर चुनौती देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि त्रुटियां सुधारने का पर्याप्त समय दिया जा रहा है।
SC के फैसले के बाद आया चुनाव आोग का निर्णय
उन्होंने कहा, "मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रतिबंधित है। चुनाव आयोग का यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आया है और 2019 का है। हमें मशीन-पठनीय मतदाता सूची और खोज योग्य मतदाता सूची के बीच अंतर समझना होगा। आप चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध मतदाता सूची को EPIC नंबर डालकर खोज सकते हैं।"
ज्ञानेश कुमार ने कहा, इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं। इसे मशीन-पठनीय नहीं कहा जाता है। मशीन-पठनीय के संबंध में, 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस विषय का गहन अध्ययन किया और पाया कि मशीन-पठनीय मतदाता सूची देने से मतदाता की निजता का उल्लंघन हो सकता है... मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रतिबंधित है। चुनाव आयोग का यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आया है और 2019 का है।"
'45 दिनों का मिलता है समय'
उन्होंने कहा, "रिटर्निंग ऑफिसरद्वारा नतीजे घोषित करने के बाद भी, कानून में यह प्रावधान है कि 45 दिनों की अवधि के भीतर, राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट में जाकर चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं। इस 45 दिनों की अवधि के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाना, चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, या बिहार हो।"
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जब चुनाव के बाद की वह 45 दिन की अवधि समाप्त हो जाती है और उस अवधि के दौरान, किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को कोई अनियमितता नहीं मिलती है, तो आज, इतने दिनों के बाद, देश के मतदाता और लोग इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे की मंशा को समझते हैं।
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