चुनाव के समय ही क्यों आती है Voter List में गड़बड़ी की शिकायत? EC की रिपोर्ट से उठे कई सवाल
चुनाव आयोग ने 2025 के लिए स्पेशल समरी रिवीजन रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक मतदाता सूची के सालाना पुनरीक्षण के दौरान केवल महाराष्ट्र से शिकायतें मिलीं। बाकी किसी राज्य से मतदाता सूची में गड़बड़ी के एक भी मामले सामने नहीं लाए गए। जबकि चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाती रहती हैं। हाल में ऐसा कई बार हुआ।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से जिस तरह चुनाव के समय हो-हल्ला खड़ा किया जाता है, लेकिन अगर वे हर साल मतदाता सूची में होने वाले पुनरीक्षण के समय तत्परता दिखाएं, तो शायद इनमें गड़बड़ी रह ही न पाए।
लेकिन ऐसा होता नहीं। स्थिति यह है कि राजनीतिक दलों की मौजूदगी में कई महीने तक चलने वाली इस प्रक्रिया में उनकी ओर से गड़बड़ी के एक भी मामले सामने नहीं आते है। चुनाव आयोग ने एसएसआर (स्पेशल समरी रिवीजन) 2025 को लेकर ऐसी ही जानकारी साझा की है।
विधानसभा चुनाव में उठे थे सवाल
इसमें बताया गया है कि महाराष्ट्र को छोड़कर किसी भी राज्य से कोई शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) स्तर पर भी नहीं मिली है। बंगाल से पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर जिस तरह से मामले को गरमाया गया, उसके बाद चुनाव आयोग ने पूरी स्थिति साफ की है।
आयोग के मुताबिक जनवरी 2025 में अंतिम रूप दी गई मतदाता सूची के सालाना पुनरीक्षण के लिए सात अगस्त 2024 को अधिसूचना जारी की गई थी। इस दौरान प्रत्येक मतदान केंद्र पर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के साथ राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की तैनाती की गई थी, लेकिन इस दौरान सिर्फ महाराष्ट्र से 90 शिकायतें मिलीं।
हर साल होता है पुनरीक्षण
- इनमें 89 को जिला निर्वाचन अधिकारी के स्तर पर ही निपटा दिया गया, जबकि एक शिकायत बाद में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) तक पहुंची थी। सुनवाई के बाद उसे भी निपटा दिया गया।
- बाकी किसी राज्य से मतदाता सूची में गड़बड़ी के एक भी मामले सामने नहीं लाए गए। देशभर में इस पुनरीक्षण अभियान में 10.49 लाख बीएलओ और 13.87 लाख बीएलए शामिल हुए थे। गौरतलब है कि चुनाव आयोग देश में हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच मतदाता सूची का पुनरीक्षण करता है।
- इस दौरान देशभर में इसे लेकर बूथ स्तर पर व्यापक अभियान चलाया जाता है। जिसमें मतदाता की मौत होने या फिर एक जगह से दूसरी जगह पर उनके शिफ्ट होने पर मतदाता सूची से उनके नाम हटाए जाते है। यह प्रक्रिया सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की जाती है।
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