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    West Bengal: चुनाव आयोग सक्रिय, बंगाल में तेज हुईं एसआईआर की तैयारियां

    केंद्रीय चुनाव आयोग बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सक्रिय हो गया है। आयोग ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय को फिर पत्र लिखकर तैयारियों की प्रगति पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही चुनाव पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) व सहायक चुनाव पंजीकरण अधिकारियों (एईआरओ) के रिक्त पदों की वर्तमान स्थिति का भी ब्योरा मांगा है।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 24 Aug 2025 01:41 AM (IST)
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    चुनाव आयोग सक्रिय, बंगाल में तेज हुईं एसआईआर की तैयारियां (सांकेतिक तस्वीर)

     राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। केंद्रीय चुनाव आयोग बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर सक्रिय हो गया है। आयोग ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय को फिर पत्र लिखकर तैयारियों की प्रगति पर रिपोर्ट मांगी है।

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    आयोग इसी महीने सारी तैयारियां पूरी कर लेना चाहता है

    साथ ही चुनाव पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) व सहायक चुनाव पंजीकरण अधिकारियों (एईआरओ) के रिक्त पदों की वर्तमान स्थिति का भी ब्योरा मांगा है। आगामी 29 अगस्त तक सारी जानकारियां दिल्ली भेजने को कहा गया है। आयोग इसी महीने सारी तैयारियां पूरी कर लेना चाहता है।

    सीईओ मनोज अग्रवाल ने 29 अगस्त को राज्य के सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। इसमें राज्य में बढ़ने वाले करीब 14,000 बूथों पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी।

    बंगाल में वर्तमान में 80,000 से कुछ अधिक बूथ

    आयोग ने निर्देश दिया था कि जहां भी 1,200 से अधिक मतदाता हैं, वहां नए बूथ तैयार करने होंगे। बंगाल में वर्तमान में 80,000 से कुछ अधिक बूथ है। नए बूथ बनने पर आंकड़ा 94,000 को पार कर जाएगा।

    प्राथमिकी दर्ज करने को मांगा समय

    बंगाल सरकार ने मतदाता सूची तैयार करने में गड़बड़ी के आरोपित वेस्ट बंगाल सिविल सर्विस के चार अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए चुनाव आयोग से समय मांगा है। आयोग के सख्त रवैये को देखते हुए सरकार ने चारों को निलंबित कर दिया है। अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है।

    अम‌र्त्य सेन ने जताई चिंता

    नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अम‌र्त्य सेन ने एसआइआर को लेकर चिंता जताई। चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इसे संवेदनशील तरीके से नहीं किया गया तो यह गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को मताधिकार से वंचित कर सकता है।

    उन्होंने कहा कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं और पुनरीक्षण जरूरी हैं लेकिन यह मौलिक अधिकारों की कीमत पर नहीं होना चाहिए।