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    45 दिनों बाद नहीं मिलेगी चुनाव आयोग की वीडियो फुटेज, दिए गए नष्ट करने के निर्देश; जानें क्यों उठाया गया ये कदम

    Updated: Fri, 20 Jun 2025 07:43 PM (IST)

    आयोग ने कहा, ''हाल ही में गैर-प्रतियोगियों द्वारा इस सामग्री का दुरुपयोग कर इंटरनेट मीडिया पर गलत सूचनाएं फैलाने और दुष्प्रचार करने के लिए इस सामग्री का चयन कर इसका संदर्भ से इतर उपयोग किया गया है।     

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    चुनाव आयोग ने राज्य के अधिकारियों के दिए निर्देश (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, प्रेट्र। चुनाव आयोग (ईसी) ने अपने वीडियो फुटेज का दुरुपयोग कर चुनाव को लेकर दुष्प्रचार फैलाने की आशंका के चलते राज्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यदि किसी चुनावी परिणाम को 45 दिनों के भीतर अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है, तो चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल हुए सीसीटीवी कैमरा, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को नष्ट कर दिया जाए।

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    30 मई को सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को भेजे गए एक पत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि उसने चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को रिकार्ड करने के लिए कई रिकार्डिंग उपकरणों का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। इनमें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग आदि शामिल है। हालांकि, चुनावी कानून ऐसी रिकार्डिंग करने की अनिवार्यता नहीं रखते हैं। आयोग इन्हें चुनावी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में आंतरिक प्रबंधन उपकरण के रूप में उपयोग करता है।

    क्या कहना है चुनाव आयोग का?

    आयोग ने कहा, ''हाल ही में गैर-प्रतियोगियों द्वारा इस सामग्री का दुरुपयोग कर इंटरनेट मीडिया पर गलत सूचनाएं फैलाने और दुष्प्रचार करने के लिए इस सामग्री का चयन कर इसका संदर्भ से इतर उपयोग किया गया है। यह दुरुपयोग चुनावी प्रक्रिया की रिकार्डिंग को सहेजने की समीक्षा करने को विवश करता है। अब आयोग ने अपने राज्य चुनाव प्रमुखों को बताया है कि चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के सीसीटीवी डाटा, वेबकास्टिंग डाटा और फोटोग्राफी को केवल 45 दिनों के लिए ही सुरक्षित रखा जाएगा। आयोग ने निर्देशित किया कि यदि किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में कोई चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती है, तो उस डाटा को नष्ट किया जा सकता है।''

    पिछले साल ही चुनाव आयोग ने किया था नियमों में संशोधन

    कोई भी व्यक्ति संबंधित उच्च न्यायालय में 45 दिनों के भीतर चुनाव परिणाम को चुनौती देने वाली ''चुनाव याचिका'' दायर कर सकता है। पिछले वर्ष दिसंबर में सरकार ने कुछ इलेक्ट्रानिक दस्तावेजों, जैसे कि सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ ही उम्मीदवारों के वीडियो रिकार्डिंग की सार्वजनिक जांच को रोकने के लिए चुनाव नियम में संशोधन किया। आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय विधि मंत्रालय ने चुनाव नियम, 1961 के नियम 93 में संशोधन किया, ताकि सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध कागजात या दस्तावेजों के प्रकार को सीमित किया जा सके.