BLO का मानदेय दोगुना, ERO-AERO के लिए भी बड़ा एलान; चुनाव आयोग का तोहफा
चुनाव आयोग ने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) का वार्षिक मानदेय दोगुना कर दिया है अब उन्हें 6 हजार की जगह 12 हजार रुपए मिलेंगे। निर्वाचक पंजीयन अधिकारी (ERO) को 30 हजार और सहायक निर्वाचक पंजीयन अधिकारी (AERO) को 25 हजार रुपए वार्षिक मानदेय मिलेगा। मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए बीएलओ को अब 2 हजार रुपए मिलेंगे पहले 1 हजार मिलते थे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची के पुनरीक्षण जैसे कठिन काम में लगे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के परिश्रम को ध्यान में रखते चुनाव आयोग ने उन्हें दिए जाने वाले वार्षिक मानदेय को बढ़ाकर अब दोगुना कर दिया है। उन्हें अब छह हजार की जगह 12 हजार रुपए वार्षिक मानदेय दिए जाएंगे।
इसके साथ ही आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले ERO (निर्वाचक पंजीयन अधिकारी) व AERO (सहायक निर्वाचक पंजीयन अधिकारी) को भी बीएलओ की तरह अब वार्षिक मानदेय देने का फैसला लिया है।
ERO-AERO को कितने पैसे मिलेंगे?
इसके तहत ईआरओ को 30 हजार और एईआरओ को 25 हजार रुपए वार्षिक मानदेय दिया जाएगा। आयोग ने इसके साथ ही मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए भी बीएलओ को अब तक दिए जाने वाले एक हजार रुपए को बढ़ाकर दो हजार रुपए कर दिया है।
बीएलओ पर्यवेक्षक के मानदेय में भी बढ़ोतरी की है। जिन्हें अब 12 हजार की जगह 18 हजार रुपए वार्षिक दिए जाएंगे। आयोग ने इसके साथ ही बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) में लगे बीएलओ को बढ़े हुए वार्षिक मानदेय के अतिरिक्त छह हजार रुपए का विशेष प्रोत्साहन भी देने की घोषणा की है।
क्यों की गई मानदेय में बढ़ोतरी?
आयोग के मुताबिक, मानदेय में की गई बढ़ोतरी पूरे देशभर में लागू होगी। इससे पहले बीएलओ के मानदेय में बढ़ोतरी वर्ष 2015 में की गई थी। आयोग के मुताबिक शुद्ध मतदाता सूची लोकतंत्र की आधारशिला है। ऐसे में इस काम लगे बीएलओ सहित दूसरे कर्मचारियों की मेहनत को देखते हुए उनके मानदेय में यह बढ़ोतरी की गई ही।
इन्हें यह वार्षिक मानदेय इसलिए दिया जाता है,क्योंकि देश भर में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम साल में एक बार होता है। यह बात अलग है कि यदि किसी राज्य में साल के मध्य में चुनाव होता है, तो वहां फिर से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य होता है। जिसके लिए उन्हें फिर से यह मानदेय दिया जाता है।
SIR के पहले चरण का काम पूरा
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने यह फैसला तब लिया है, जब बिहार में एसआईआर के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है। साथ ही ड्राफ्ट मतदाता सूची भी आ चुकी है। इस सूची को तैयार करने के लिए बीएलओ की ओर से घर-घर जाकर जानकारी जुटाई गई थी।
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