Loneliness in Older people: परिवार में रहने के बाद भी बुजुर्ग महसूस करते है अकेलापन, रिपोर्ट में खुलासा
Loneliness in Older people बुजुर्गों को लेकर घर और समाज का बदलता रवैया गंभीर रूप लेने लगा है। जिसमें बच्चों का बुजुर्ग माता-पिता या दादा-दादी से मिलना ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बुजुर्गों को लेकर घर और समाज का बदलता रवैया गंभीर रूप लेने लगा है। जिसमें बच्चों का अपने बुजुर्ग माता-पिता या दादा-दादी से मिलना-जुलना कम हो रहा है। यही वजह है कि घर में रहने के बाद भी बड़ी संख्या में बुजुर्ग अब अकेलापन महसूस करने लगे है। इतना ही नहीं, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार भी अब आम बात हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा दुर्व्यवहार और प्रताड़ना उन्हें अपनों से मिलती है। इनमें बेटे, बहु और रिश्तेदार सभी शामिल है।
79 फीसद बुजुर्गों को लगता है कि उनका परिवार उनके साथ नहीं बिताता है समय
हालांकि इनमें से ज्यादातर बुजुर्ग ऐसे है, जिन्हें दुर्व्यवहारों के खिलाफ बने कानून की जानकारी नहीं है। बुजुर्गों को लेकर यह अहम खुलासा बुजुर्गों पर काम करने वाली संस्था 'हेल्प ऐज इंडिया' की रिपोर्ट ' ब्रिज द गैप-अंडर स्टैंडिंग एल्डर नीड्स' से हुआ है, जिसमें देश के बुजुर्गों की स्थिति को लेकर जानकारी जुटाई गई है।
संस्था ने अपनी यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 79 प्रतिशत से ज्यादा बुजुर्गों की यह शिकायत है कि घर में रहने के बाद भी परिवार के लोग उन्हें पर्याप्त समय नहीं देते है। जो लोग समय देते भी है, वह काफी कम होता है। इस अकेलेपन के चलते बुजुर्गों में अलग अलग तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं देखने को मिलती है।
बुजुर्गों से जुड़ी यह रिपोर्ट देश के 22 शहरों में सभी श्रेणियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में सामने आयी है। इनमें 43 सौ से ज्यादा बुजुर्ग शामिल हुए थे। बुजुर्गों के साथ घटित होने वाले दुर्व्यवहार के कुल मामलों में करीब 36 प्रतिशत मामलों में रिश्तेदार शामिल होते है, वहीं 35 प्रतिशत मामलों में बेटे और 21 प्रतिशत मामलों में बहू शामिल होती है। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 60 फीसद बुजुर्गों का मानना है कि दुर्व्यवहार का होना आम बात है।
रिपोर्ट में बुजुर्गों में दुर्व्यवहार पर रोकथाम के लिए बने कानूनों को भी जागरूकता की कमी दिखी। इस दौरान दिल्ली के 38 प्रतिशत, बेंगलुरु के 80 और रायपुर के 84 फीसद लोग बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर रोकथाम के लिए बने कानून से अनजान थे।देश में मौजूदा समय में बुजुर्गों की संख्या 13.80 करोड़ है। साथ ही आने वाले सालों में इसके तेजी से बढ़ने का अनुमान है।

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