केरल में बैंक ने जब्त किया घर, बुजर्ग दंपत्ति ने घर के आंगन में बिताई रात; विजयन सरकार पर लगे आरोप
केरल केपथनमथिट्टा जिले के वझूर ग्राम पंचायत में 84 वर्षीय जनार्दनन और उनकी 70 वर्षीय पत्नी विजयम्मा को उनके एकमात्र घर से बेदखल कर दिया गया। घर सीपीआई ...और पढ़ें

केरल में बैंक ने जब्त किया घर, बुजर्ग दंपत्ति ने घर के आंगन में बिताई रात (फोटो- एक्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल के पथनमथिट्टा जिले के वझूर ग्राम पंचायत में 84 वर्षीय जनार्दनन और उनकी 70 वर्षीय पत्नी विजयम्मा को उनके एकमात्र घर से बेदखल कर दिया गया।
घर सीपीआई(एम) द्वारा नियंत्रित तिरुवल्ला ईस्ट कोऑपरेटिव बैंक ने 2014 में लिए गए मात्र 2.5 लाख रुपये के पुराने ऋण के बकाया के कारण नीलाम कर दिया। नीलामी सिर्फ 11 लाख रुपये (बाजार मूल्य करीब 25 लाख) में हुई और खरीदार उनका पड़ोसी है।
बेदखली के दिन बैंक कर्मचारियों ने घर में बाहर से ताला लगा दिया, जिससे बुजुर्ग दंपत्ति को रात आंगन में गुजारनी पड़ी। दोनों उम्रजनित बीमारियों से पीड़ित हैं और अब उनके पास रहने की कोई जगह नहीं है।
यह घटना इन कारणों से विवादास्पद हो गई है
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फरवरी 2025 में विधानसभा में स्पष्ट आश्वासन दिया था कि सहकारी बैंक ऋण के कारण किसी का एकमात्र घर नहीं छीना जाएगा।
वामपंथी सरकार ने 9 अक्टूबर 2025 को ही “केरल एकल आवास संरक्षण विधेयक 2025” पारित किया था, जिसका उद्देश्य यही था।बावजूद इसके, सीपीआई(एम) नियंत्रित बैंक ने उच्च न्यायालय के 13 नवंबर के आदेश का हवाला देकर बेदखली की कार्रवाई पूरी की।
बैंक अध्यक्ष जैकब जॉर्ज का कहना है कि दंपत्ति ने ऋण नहीं चुकाया और उनके बेटे ने दूसरा घर बना रखा है, इसलिए प्रक्रिया पूरी की गई।
वहीं विपक्ष (भाजपा और कुछ स्थानीय लोग) इसे कम कीमत पर नीलामी और गरीब-विरोधी रवैया बता रहे हैं। भाजपा पार्षद दीप्ति दामोदरन ने आरोप लगाया कि बैंक के अध्यक्ष ने जनता से झूठ बोला है।
दामोदरन ने आगे कहा कि गांव में हर कोई जानता है कि बुजुर्ग दंपत्ति कई दशकों से उस घर में रह रहे हैं। जमीन की कीमत कम से कम 25 लाख रुपये है। नीलामी की कीमत सिर्फ 11 लाख रुपये में हुई, जो बाजार भाव से काफी कम है।
यह मामला आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले आया है, जहां पिछले चुनाव में एलडीएफ का पथनमथिट्टा में दबदबा था। अब सबरीमाला विवाद, माकपा नेताओं की गिरफ्तारियाँ और इस तरह की घटनाओं से पार्टी की छवि को गहरा नुकसान होने की आशंका है।
सीपीआई(एम) की अपनी ही सहकारी बैंक और सरकार के नए कानून व मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद एक बुजुर्ग दंपत्ति को घर से बेघर कर दिया गया, जिससे जनता में भारी आक्रोश है और पार्टी को स्थानीय चुनाव में राजनीतिक नुकसान की आशंका पैदा हो गई है।

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