देश की शिक्षा व्यवस्था पर फिर मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान, बोले- भारतीय दर्शन पर आधारित हो शिक्षा प्रणाली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि देश में शिक्षा प्रणाली उपनिवेशी विचारों के दीर्घकालिक प्रभाव के तहत विकसित हुई है। विकसित राष्ट्र के लिए भारतीय दर्शन पर आधारित वैकल्पिक प्रणाली तैयार करने की आवश्यकता है। साथ ही मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों को अपने कार्यक्षेत्र में सक्षम बनना चाहिए। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है।

पीटीआई, कोच्चि। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि देश में शिक्षा प्रणाली उपनिवेशी विचारों के दीर्घकालिक प्रभाव के तहत विकसित हुई है। विकसित राष्ट्र के लिए भारतीय दर्शन पर आधारित वैकल्पिक प्रणाली तैयार करने की आवश्यकता है।
स्वयंसेवकों को अपने कार्यक्षेत्र में सक्षम बनना चाहिए
आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय चिंतन बैठक के दूसरे दिन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों को अपने कार्यक्षेत्र में सक्षम बनना चाहिए। दूसरों को आगे बढ़ाने के लिए मित्रवत संबंध विकसित करने चाहिए। इस बैठक का उद्घाटन शुक्रवार को भागवत ने किया था।
संस्कृति उत्थान न्यास ने बयान में कहा कि मोहन भागवत रविवार को राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन 'ज्ञान सभा' को संबोधित करेंगे। हालांकि सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन 28 जुलाई सोमवार को होगा। न्यास ने दावा किया कि ''भारतीय दर्शन पर आधारित शिक्षा प्रणाली'' ''सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय प्रगति'' का मार्ग प्रशस्त करेगी।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कोठारी ने कहा कि नैतिक मूल्यों में गिरावट, महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि, पर्यावरणीय समस्याएं आदि हमारे समाज को गंभीर संकट की ओर ले जा रही हैं। उन्होंने इसका समाधान खोजने की सलाह दी।
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है भारत
कोठारी ने कहा कि ज्ञान सभा का आयोजन भारत के संदर्भ में किया जा रहा है, जो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, जिसने अपनी अनूठी तकनीक के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक सफलतापूर्वक पहुंचकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया है।
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