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दोबारा पढ़ाई शुरू करना होगा आसान

किसी मजबूरी में एक बार पढ़ाई छोड़ देने वालों के लिए दोबारा वहीं से शुरुआत करना अब आसान हो जाएगा। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में नौवीं से स्नातकोत्तर तक की कक्षाओं में क्रेडिट इक्विवेलेंट ट्रांसफर सिस्टम यानी साख समतुल्य स्थानांतरण प्रणाली शुरू की जा रही है। अगले हफ्ते मंगलवार से शुरू

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 06 Nov 2014 05:45 AM (IST)Updated: Thu, 06 Nov 2014 05:48 AM (IST)
दोबारा पढ़ाई शुरू करना होगा आसान

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। किसी मजबूरी में एक बार पढ़ाई छोड़ देने वालों के लिए दोबारा वहीं से शुरुआत करना अब आसान हो जाएगा। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में नौवीं से स्नातकोत्तर तक की कक्षाओं में क्रेडिट इक्विवेलेंट ट्रांसफर सिस्टम यानी साख समतुल्य स्थानांतरण प्रणाली शुरू की जा रही है। अगले हफ्ते मंगलवार से शुरू हो रही इस नई प्रणाली को आगे चल कर पीएचडी स्तर तक लागू किया जा सकता है।

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मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को इस बारे में बताया। वल्र्ड इकोनोमिक फोरम के भारत आर्थिक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि बहुत से छात्रों को बीच में पढ़ाई छोडऩी पड़ जाती है। अभी तक हमारे यहां इन्हें दोबारा पढ़ाई में शामिल करने के लिए प्रोत्साहन देने वाली कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार मंगलवार से विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के बीच साख समतुल्य स्थानांतरण की व्यवस्था शुरू कर रही है।

ईरानी ने अपना उदाहरण दे कर कहा कि वे पढ़ाई के साथ काम भी करती थीं। काम बीच में नहीं छोड़ सकती थीं तो उन्हें शैक्षणिक व्यवस्था से बाहर हो जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था शुरू होने के बाद अगर किसी व्यक्ति को काम के लिए पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी तो जिंदगी भर इसका नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा। अमेरिका और यूरोप के देशों में ऐसी व्यवस्था काफी समय से प्रचलन में है।

ईरानी ने शिक्षा को रोजगारपरक बनाने पर भी खासा जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अपने यहां नियोजन कोषांग (प्लेसमेंट सेल) शुरू करने को कहा गया है। अपने छात्रों को रोजगार दिलाने और रोजगार उपलब्ध करवाने वाले संस्थानों के साथ तालमेल बनाने की सुविधा देने में सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को भी उतनी ही रुचि लेनी होगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस समय नई शिक्षा नीति पर काम कर रहा है। अगले साल तक इस नीति का एलान हो जाने की उम्मीद है।

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