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    भारतीय NGO 'एजुकेट गर्ल्स' को मिला एशिया का सबसे बड़ा सम्मान रैमोन मैगसायसाय अवॉर्ड, शिक्षा के क्षेत्र में रचा इतिहास

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 11:00 PM (IST)

    भारत की गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स को एशिया का सबसे बड़ा सम्मान रैमोन मैगसायसाय अवार्ड 2025 मिला है। यह सम्मान दूरदराज के गांवों की उन लड़कियों की शिक्षा के लिए दिया गया है जो स्कूल से बाहर रह जाती हैं। सफीना हुसैन द्वारा 2007 में स्थापित इस संस्था ने राजस्थान से शुरुआत की और अब तक 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा है।

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    एजुकेट गर्ल्स को मिला एशिया का सबसे बड़ा सम्मान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स (Educate Girls) को एशिया का सबसे बड़ा सम्मान रैमोन मैगसायसाय अवार्ड 2025 मिला है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय संगठन को यह पुरस्कार मिला।

    संस्था को सम्मान उन लड़कियों की शिक्षा के लिए दिया गया है जो दूरदराज के गांवों में स्कूल से बाहर रह जाती हैं। रैमोन मैगसायसाय अवार्ड को एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। यह सम्मान हर साल ऐसे लोगों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने समाज की सेवा में बड़ा योगदान दिया है।

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    कौन-कौन हुए सम्मानित?

    • भारत की एजुकेट गर्ल्स
    • मालदीव की शाहिना अली (समुद्री पर्यावरण की रक्षा के लिए)
    • फिलीपींस के फ्लावियानो एंटोनियो विल्लानुएवा (गरीबों की सेवा के लिए)

    इन सभी विजेताओं को 7 नवंबर को फिलीपींस की राजधानी मनीला में होने वाले समारोह में सम्मानित किए जाएंगे। उन्हें एक मेडल, प्रमाणपत्र और नकद पुरस्कार मिलेगा।

    कब हुई थी एजुकेट गर्ल्स की शुरुआत?

    एजुकेट गर्ल्स की शुरुआत 2007 में सफीना हुसैन ने की थी। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की और विदेश में काम करने के बाद भारत लौटकर लड़कियों की शिक्षा को अपना मिशन बनाया।

    शुरुआत राजस्थान से हुई जहां उन्होंने उन समुदायों में काम किया जहां लड़कियों की पढ़ाई को नजरअंदाज किया जाता था। धीरे-धीरे यह संस्था 30 हजार से ज्यादा गांवों में पहुंची और अब तक 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा।

    क्या-क्या उपलब्धियां की हासिल?

    2015 में संस्था ने दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ड बॉन्ड (DIB) शुरू किया, जिसमें शिक्षा से जुड़ी सफलता के आधार पर वित्तीय मदद मिलती है। इस मॉडल से शिक्षा को और मजबूती मिली।

    इसके अलावा संस्था ने 'प्रगति' नाम का प्रोग्राम शुरू किया, जिससे 15 से 29 साल तक की युवा महिलाएं ओपन स्कूलिंग के जरिए अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। अब तक 31 हजार 500 से ज्यादा युवतियां इसमें शामिल हो चुकी हैं।

    सफीना हुसैन का बयान

    इस मौके पर संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन ने कहा, "यह हमारे लिए एतिहासिक पल है। यह सम्मान न सिर्फ एजुकेट गर्ल्स के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। अब दुनिया भर में भारत के इस आंदोलन पर ध्यान जाएगा।"

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