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    ऐसा क्या हुआ कि ED को लौटानी पड़ी करोड़ों की संपत्ति? SBI से जुड़ा है मामला

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 11:18 AM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कौशिक ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के आधिकारिक परिसमापक को 9.56 करोड़ रुपये की संपत्ति लौटाई। यह कार्रवाई पीएमएलए के तहत कुर्क की गई संपत्तियों की वापसी के लिए कोलकाता की एक विशेष अदालत के आदेश पर हुई। यह मामला एसबीआई को 85.39 करोड़ रुपये का चूना लगाने से जुड़ा है जिसमें आरोपियों ने फर्जी खातों से पैसों का गबन किया।

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    कौशिक ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के आधिकारिक परिसमापक को ईडी ने संपत्ति लौटाई।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED), कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय ने कौशिक ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के आधिकारिक परिसमापक को 9.56 करोड़ रुपये मूल्य की अचल और चल संपत्ति सफलतापूर्वक वापस कर दी है।

    धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत कुर्क की गई संपत्तियों की वापसी, कोलकाता के बिचार भवन स्थित एक विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार की गई।

    प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई की प्राथमिकियों के आधार पर धन शोधन की जांच शुरू की थी। जांच के दौरान, 10.86 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का पता चला और दो अनंतिम कुर्की आदेशों (PAO) के तहत कुर्क किया गया।

    आरोपियों ने SBI को लगाया चूना

    यह मामला एक बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा है। ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के निदेशक (धनंजय सिंह, संजय सिंह और मृत्युंजय सिंह) ने कथित तौर पर भारतीय स्टेट बैंक को चूना लगाया।

    उन लोगों ने 85.39 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जो  जून 2013 तक गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) में बदल गए। उन लोगों पर 60.38 करोड़ रुपये का बकाया था।

    सार्वजनिक परिवहन वोल्वो और मर्सिडीज बसें खरीदने के लिए लोन दिए गए थे। उन लोगों ने फर्जी बैंक खातों और जटिल वित्तीय लेनदेन का उपयोग करके पैसों का गबन कर लिया।

    एनसीएलटी ने कुर्क की गई संपत्तियों की वापसी की मांग की

    कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ पहले ही एक अभियोजन शिकायत दर्ज की जा चुकी थी। इसके बाद राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT), कोलकाता द्वारा नियुक्त आधिकारिक परिसमापक ने पीएमएलए, 2002 की धारा 8(8) के तहत एक आवेदन दायर कर कुर्क की गई संपत्तियों की वापसी की मांग की।

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    विशेष अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और प्रवर्तन निदेशालय को संपत्तियां सौंपने का निर्देश दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने अब 10 अचल और 9 चल संपत्तियां परिसमापक को वापस कर दी हैं। 

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