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Money Laundering Case: चेन्नई में ईडी की बड़ी कार्रवाई, इंडियन बैंक के साथ धोखाधड़ी करने पर कुर्क की 234 करोड़ की संपत्ति

तमिलनाड़ु की राजधानी चेन्नई में ईडी की बड़ी कार्रवाई देखने को मिली। इंडियन बैंक के साथ धोखाधड़ी करने पर ईडी ने आरोपियों की 234 करोड़ की संपत्ति को कुर्क कर दिया है। यह कार्रवाई मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत की गई।

By Achyut KumarEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 09:27 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 09:27 AM (IST)
प्रवर्तन निदेशालय ने चेन्नई में 200 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की (प्रतीकात्मक तस्वीर)

चेन्नई, एएनआइ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इंडियन बैंक को धोखा देने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में मेसर्स सरवाना स्टोर्स (गोल्ड पैलेस) चेन्नई की 234.75 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति कुर्क की। ईडी ने CBI, EOW चेन्नई द्वारा दर्ज 25 अप्रैल की प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए, 2002 के तहत जांच शुरू की। ईडी ने प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों के तहत 26 मई को मामला दर्ज किया था। यह आरोप लगाया गया है कि स्वर्गीय पल्लकुदुरई, पी सुजाता और वाईपी शिरवन ने इंडियन बैंक, टी नगर शाखा, चेन्नई को धोखा देने के आपराधिक इरादे से मैसर्स सरवाना स्टोर्स (गोल्ड पैलेस) के भागीदारों ने अज्ञात लोक सेवकों और अज्ञात अन्य लोगों के साथ साजिश रची थी।

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ईडी की जांच में हुआ बड़ा खुलासा

ईडी की जांच से पता चला है कि मैसर्स सरवाना स्टोर (गोल्ड पैलेस) चेन्नई ने बैलेंस शीट बनाकर और फर्म की अच्छी वित्तीय स्थिति का अनुमान लगाकर ऋण स्वीकृत करने के लिए आवेदन किया है। केंद्रीय एजेंसी के अनुसार, रिपोर्ट की गई बिक्री और फर्म की क्रेडिट प्रविष्टियों के बीच एक बड़ा बेमेल है। उक्त फर्म ने ऋण प्राप्त करते समय आगामी वित्तीय वर्षों के लिए अपेक्षित टर्नओवर की एक कास्मेटिक तस्वीर प्रस्तुत की है।

  • इंडियन बैंक को धोखा देने के लिए संपत्ति मूल्यांकक, बैंक के अधिकारियों और कुछ निजी व्यक्तियों की मिलीभगत से व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए फर्म ने संपत्ति को वास्तविक उचित बाजार मूल्य से बहुत अधिक कीमत पर खरीदने का प्रस्ताव रखा।
  • प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए, 2002 के तहत की गई जांच ने आरोपी व्यक्तियों और बैंक अधिकारियों के शुरू से ही बुरे इरादों को पर्याप्त रूप से स्थापित किया है।

धन का किया दुरुपयोग

जांच से पता चला कि आरोपी व्यक्तियों ने वस्तुओं की सूची को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और बैंक की जानकारी के बिना संपत्ति को स्थानांतरित कर दिया। इतना ही नहीं, इन्होंने सावधि ऋण चुकाने के लिए ओसीसी सीमा का इस्तेमाल किया, धन का दुरुपयोग किया और उस धन को उस काम के लिए डायवर्ट किया जिसके लिए इसे स्वीकृत नहीं किया गया था। इसके अलावा, आरोपियों ने अन्य अनियमितताएं भी कीं। इस तरह उक्त आरोपी व्यक्ति और फर्मों ने बैंक को धोखा दिया और उसको नुकसान पहुंचाया। उन्होंने खुद को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया। 

मामले की जांच जारी

आरोपी कंपनी ने आपराधिक गतिविधियों से 240 करोड़ रुपये की अपराध की आय अर्जित की है। आगे की जांच चल रही है।


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