ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कमलनाथ के भतीजे की मदद करने वाले व्यक्ति को किया गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे की मदद करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। ED ने उन्हें एक स्थानीय अदालत में पेश किया जहां से उन्हें 31 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेजा गया है। इस मामले में रतुल पुरी को 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया था और वह अब जमानत पर बाहर हैं।

नई दिल्ली, एजेंसी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 354 करोड़ रुपये के कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नई गिरफ्तारी की है। इसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के व्यवसायी भतीजे रतुल पुरी और अन्य शामिल हैं।
बैंक ऑफ सिंगापुर के पूर्व रिलेशनशिप मैनेजर नितिन भटनागर को मंगलवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में ले लिया गया है। ED ने उन्हें एक स्थानीय अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 31 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेजा गया है।
क्या है पूरा मामला?
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अगस्त, 2019 की सीबीआई की एफआईआर के बाद से शुरू हुआ है। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड (एमबीआईएल) और उसके प्रमोटरों ने कथित तौर पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लिए गए लोन में 354.51 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। बैंक द्वारा सीबीआई को शिकायत भेजे जाने के बाद मामला दर्ज किया गया। सीबीआई और ईडी दोनों ने रतुल पुरी, उनके पिता दीपक पुरी, मां नीता (कमलनाथ की बहन) पर मामला दर्ज किया था। इस मामले में रतुल पुरी को 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया था और वह अब जमानत पर बाहर हैं।
सीबीआई और ईडी का आरोप
पुरी परिवार, संजय जैन और विनीत शर्मा जैसे अन्य पर सीबीआई और ईडी ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के लिए मामला दर्ज किया था। इस मामले में रतुल पुरी पर उनके पिता दीपक पुरी द्वारा प्रवर्तित कंपनी एमबीआईएल के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक के रूप में मामला दर्ज किया गया था।
बैंक ने एक बयान और सीबीआई को दी शिकायत में कहा था कि रतुल ने 2012 में कार्यकारी निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके माता-पिता बोर्ड में बने हुए हैं। बैंक ने शिकायत में आरोप लगाया कि कंपनी (मोजर बेयर) 2009 से विभिन्न बैंकों से ऋण ले रही थी और कई बार ऋण पुनर्गठन के लिए गई। जब वह कर्ज चुकाने में असमर्थ रहा, तो एक फोरेंसिक ऑडिट किया गया और 20 अप्रैल, 2019 को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा खाते को 'धोखाधड़ी' घोषित कर दिया गया।
क्या बोले कमलनाथ?
ईडी ने अदालत को बताया कि भटनागर ने बैंक ऑफ सिंगापुर में प्रिस्टिन रिवर इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड नामक कंपनी के लिए एक बैंक खाता खोलने में मदद की, क्योंकि वह इसके रिलेशनशिप मैनेजर थे। ईडी ने कहा कि कंपनी का स्वामित्व सवाना ट्रस्ट के पास था, जिसके रतुल पुरी 'सेटलर' थे।
कंपनी (प्रिस्टिन रिवर) का इस्तेमाल 'अपराध की आय' को छिपाने के लिए किया गया था और भटनागर ने जानबूझकर मुख्य आरोपी रतुल पुरी के लिए ऐसा करने में सहायता की। रतुल पुरी तीन प्रमुख केंद्रीय जांच एजेंसियों, ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रहे हैं। नाथ ने इन मामलों में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है।
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