Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो कृषि के विकास को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 13 Sep 2022 03:54 PM (IST)

    यह बात भी सत्य है कि बिना औद्योगिकीकरण के कृषि विकास भी संभव नहीं है। इसलिए कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्र का साथ-साथ विकास होना चाहिए। भारत को एक विकसित र ...और पढ़ें

    Hero Image
    कृषि के विकास से सुधरेगी आर्थिकी। फाइल फोटो

    रवि शंकर। देश की आर्थिकी में सुधार और कृषि एवं ग्रामीण विकास की दशा में मजबूती के अनेक संकेत सामने आए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून की तिमाही में देश की सकल घरेलू विकास (जीडीपी) दर 13.5 प्रतिशत हो गई, जो पिछली चार तिमाहियों में सबसे तेज है। दरअसल अर्थव्यवस्था में जो वृद्धि देखने को मिल रही है उसमें कृषि, बागवानी और मछली पालन उद्योग में 4.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का भी योगदान है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उल्लेखनीय है कि एक उद्योग के तौर पर कृषि का अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ता है। पहले कई दशक तक खाद्यान्न आयात पर निर्भर रहने वाले देश भारत की आज अपनी जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा देने के साथ ही विश्व के बड़े खाद्य निर्यातकों में गिनती हो रही है। भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है। यह दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है।

    एक दशक पहले हम अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बने और अब दुनिया के दस बड़े कृषि निर्यातकों में शुमार हैं। साथ ही, वैश्विक स्तर के औद्योगिकीकरण के बावजूद खेती का हमारी जीडीपी में लगभग 15 प्रतिशत योगदान है। लेकिन उत्पादन बढ़ने के बावजूद 23 प्रतिशत किसान गरीबी रेखा के नीचे ही हैं। छोटे और मंझोले किसानों का ज्यादा लागत और कम लाभ के कारण खेती से ही मोहभंग होने लगा। खेती की वर्तमान दशा और दिशा पर नजर डालें तो इसके हर पहलू के बारे में पता चलता है। भूमि, श्रम और पूंजी जैसे उत्पादन कारकों से लेकर मार्केटिंग, व्यापार और फसल को नुकसान से बचाने तक हर मसले पर एक व्यापक समीक्षा और नई नीतियों की जरूरत है।

    खाद्य सुरक्षा किसी भी देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह इस यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया के कई अन्य देशों ने भी महसूस किया है। इसमें हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान भी शामिल हैं। इसलिए देश के कृषि क्षेत्र को एक नया आयाम देने के लिए विशेष विजन की जरूरत है। कृषि तथा उद्योग दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, प्रतियोगी नहीं। बिना कृषि के आधुनिकीकरण के औद्योगिक विकास संभव नहीं है, क्योंकि यदि कृषि विकास नहीं होगा तो अधिकतर जनसंख्या के पास क्रयशक्ति नहीं होगी तथा बाजार का विस्तार भी नहीं होता। अतः यह बात भी सत्य है कि बिना औद्योगिकीकरण के कृषि विकास भी संभव नहीं है। इसलिए कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्र का साथ-साथ विकास होना चाहिए। भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो कृषि के विकास को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा। 

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)