Move to Jagran APP

आर्थिक असमानता गंभीर चुनौती, गरीबी और विषमता हटाने में मोदी सरकार सक्रिय

विश्व असमानता रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में लोगों के बीच आर्थिक असमानता और बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल 76 प्रतिशत संपत्ति है। वहीं भारत में 10 प्रतिशत अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का करीब 57 प्रतिशत हिस्सा है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sat, 18 Dec 2021 10:12 AM (IST)Updated: Sat, 18 Dec 2021 10:34 AM (IST)
आर्थिक असमानता गंभीर चुनौती, गरीबी और विषमता हटाने में मोदी सरकार सक्रिय
आर्थिक असमानता गंभीर चुनौती, गरीबी और विषमता हटाने में मोदी सरकार सक्रिय

ज्योति रंजन पाठक। हाल में जारी विश्व असमानता रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में लोगों के बीच आर्थिक असमानता और बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल 76 प्रतिशत संपत्ति है। वहीं भारत में 10 प्रतिशत अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का करीब 57 प्रतिशत हिस्सा है। देश की कुल कमाई में माध्यम वर्ग की हिस्सेदारी महज 29.5 प्रतिशत है। हालांकि, यह तथ्य कोई नया नहीं है। पहले भी इस तरह की रपट आती रही हैं।

loksabha election banner

आज जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे तब इस प्रकार की स्थिति कचोटने वाली है। नि:संदेह कोरोना महामारी जनित कारणों ने देश में इस समस्या को बढ़ाने में योगदान दिया है। वैसे केवल महामारी ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। यह रुझान अतीत की सरकारों का गरीबी समाप्त करने के प्रति उदासीनता को भी दर्शाता है।

सरकारें गरीबी मिटाने की बातें तो करती रहीं, परंतु मिटा नहीं पाईं। इसलिए हमें इसके कारणों पड़ताल कर उनका निवारण करना होगा। देश की आजादी के बाद के दौर को देखें तो हर पांच वर्ष में गरीबी मिटाने के लिए पंचवर्षीय योजना बनाई जाती रहीं और उन योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए गए। सरकारें कहती आई हैं कि ये गरीबों के कल्याण के लिए बनाई गई योजना है।

माना जाता है कि सरकारी योजनाओं के अंतर्गत लोग सुविधाओं का लाभ उठाकर गरीबी से बाहर आएंगे, लेकिन इसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ सके। लोगों को कुछ हद तक को इन योजनाओं से लाभ मिल पाता है, लेकिन सरकारी तंत्र में अनेक खामियों के कारण अधिकांश लोग इस तरह की योजनाओं से पूरा लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। सरकारी तंत्र में अनेक अधिकारी इन योजनाओं के माध्यम से अपनी जेबें भरने में लग जाते हैं।

घोटाले पर घोटाले ऐसी ही दुरभिसंधि के परिणाम हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी मजबूरन कहना पड़ा था कि केंद्र से एक रुपया भेजने पर लोगों के पास उसमें से केवल 15 पैसे ही पहुंचते हैं, शेष 85 पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। गरीबी उन्मूलन केवल आर्थिक उत्थान का सवाल नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक विषय भी है, जिसका सीधा संबंध लोगों की राजनीतिक और सामाजिक चेतना के स्तर से है।

इसीलिए समाज में व्याप्त गरीबी के प्रति चिंता होना स्वाभाविक है। हमारे नीति-नियंताओं को बढ़ती आर्थिक असमानता के विषय में गंभीर रूप से विचार करते हुए इसके निवारण की दिशा में आवश्यक पहल करनी चाहिए। समाज से बढ़ती आर्थिक असमानता मिटाने के लिए सबसे पहले इच्छाशक्ति का होना महत्वपूर्ण है। साथ ही योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है। अच्छी बात है मोदी सरकार इस दिशा में कुछ आगे बढ़ रही है, लेकिन बड़ी चुनौती को देखते हुए उसे प्रयास भी बढ़ाने होंगे।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.