पृथ्वी का मंगल ग्रह कहे जाने वाले चिली के अटाकामा मरुस्थल पर कचरे के बढ़ते ढेर ने विज्ञानियों की बढ़ाई चिंता
अटाकामा रेगिस्तान को कई देश कूडदान की तरह प्रयोग करने में लगे हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देश यहां कचरा फेंकते हैं। पिछले साल 46000 टन से अधिक पुराने कपड़े यहां फेंकते दिए गए थे। इसके अलावा टायरों के ढेर भी इस पूरे रेगिस्तान में बिखरे हुए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। पृथ्वी का मंगल ग्रह कहे जाने वाले चिली के अटाकामा मरुस्थल पर कचरे के बढ़ते ढेर ने विज्ञानियों की चिंता बढ़ा दी है। मंगल पर पहुंचने की दिशा में एक अहम कड़ी बनने वाली इस जगह पर बढ़ते कचरे के कारण शोधकर्ता न केवल पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित हैं, बल्कि इससे मंगल ग्रह के अध्ययन से जुड़ी कई जानकारियां नष्ट होने का भी खतरा है। यहां के वातावरण में पनपने वाले सूक्ष्मजीवों का अध्ययन मंगल पर जीवन की खोज में अहम माना जा रहा है। हालांकि अभी यहां जो कचरा है, वह यहां से जीवन के प्रमाण नष्ट कर सकता है।
कचरे में डूब रहा रेगिस्तान
अटाकामा रेगिस्तान को कई देश कूडदान की तरह प्रयोग करने में लगे हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देश यहां कचरा फेंकते हैं। पिछले साल 46,000 टन से अधिक पुराने कपड़े यहां फेंकते दिए गए थे। इसके अलावा पुरानी कारों और टायरों के ढेर भी इस पूरे रेगिस्तान में बिखरे हुए हैं। ये कचरा मिट्टी, हवा और भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहे हैं।
मंगल ग्रह के समान दशाओं वाला क्षेत्र
दरअसल नासा इस क्षेत्र को मंगल ग्रह के समान दशाओं वाला मानती है। 2017 में, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इसी जगह अपने रोवर के शुरुआती माडल का परीक्षण किया था जो अभी मंगल पर जीवन के संकेतों की खोज कर रहा है। मंगल ग्रह के समान परिस्थिति होने की वजह से रोवर की ड्रिलिंग क्षमताओं का यहां के रेगिस्तान में ही परीक्षण किया गया था।
मरुस्थल पर मौजूद हैं सूक्ष्मजीव
पृथ्वी के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक अटाकामा रेगिस्तान, जहां वर्षा दुर्लभ है एवं जीवन लगभग असंभव है, वहां शोधकर्ताओं ने सूक्ष्मजीवों को खोजा था। इसे मंगल पर जीवन खोजने की दिशा में अहम प्रमाण माना गया था। अटाकामा रेगिस्तान एंडीज और चिली कोस्ट रेंज के बीच स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति ही नमी को यहां नहीं पहुंचने देती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बिना पानी, अत्यधिक सौर विकिरण और पोषक तत्वों के अभाव में में भी इन जीवों का पनपना इस खोज में अहम कड़ी साबित होगा कि मंगल ग्रह पर जीवन कैसे बसाया जा सकता है।
इस तरह मंडरा रहा है खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि दुनियाभर से फेंके गए कचरे के ढेर से मरुस्थल को गंभीर खतरा है। पारिस्थितिकी और जैव विविधता संस्थान के शोधकर्ता पाब्लो ग्युरेरो ने बताया कि
यहां की परिस्थति बहुत नाजुक है क्योंकि वर्षा और कोहरे के पैटर्न में किसी भी बदलाव या कमी से वहां रहने वाली प्रजातियों पर तत्काल असर पड़ता है।