Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गड़बड़ी वाली फार्मा कंपनियों के खिलाफ बने आसान शिकायत मेकेनिज्म

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 10:55 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फार्मा कंपनियों की अनैतिक गतिविधियों से परेशान नागरिकों के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली होनी चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। सरकार ने बताया कि यूसीपीएमपी के तहत शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया है, लेकिन कोर्ट ने उपभोक्ताओं के लिए आसान निवारण प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

    Hero Image

    सुप्रीम कोर्ट। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि फार्मा कंपनियों के अनैतिक कार्यों की वजह से ठगा महसूस करनेवाले आम नागरिक के पास यूनिफॉर्म कोड के तहत शिकायत दर्ज कराने और उचित कार्रवाई के लिए मजबूत सिस्टम होना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फार्मा कंपनियों के कथित अनैतिक कार्यों पर कार्रवाई को भी यूनिफार्म कोड में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि ये सुनिश्चित होना चाहिए कि गड़बड़ी करनेवाली कंपनियां कार्रवाई के दायरे में लाई जाएंगी।

    सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा?

    केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि चाहे दवाओं की मूल्यवृद्धि का मामला हो या ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित करना हो, इन सबके लिए सरकार ने नीतियां लागू कर रखी हैं।

    उन्होंने कहा कि यूनिफार्म कोड फार फार्मास्युटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी), 2024 के तहत फार्मा कंपनियों को स्वास्थ्य पेशेवरों या उनके परिवार सदस्यों को उपहार और यात्रा सुविधाएं देने से प्रतिबंधित किया गया है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर आप ऐसा कानून ले आए तो आपने उसमें उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण का इंतजाम क्यों नहीं किया ताकि उन्हें भी सुविधा हो।

    नटराज ने कहा कि यूसीपीएमपी के तहत शिकायतें दर्ज कराने की प्रक्रियाएं दी गई हैं, जिसमें जुर्माने का प्रविधान भी है। हालांकि, एक स्वतंत्र पोर्टल भी लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट, 1940, में दवाओं के आयात, विनिर्माण, वितरण और बिक्री को नियंत्रित किया जाता है।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि यूसीपीएमपी 2024 केवल एक स्वैच्छिक संहिता है।

    पीठ ने नटराज से कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त करें कि क्या सरकार की ओर से इन गतिविधियों पर कार्रवाई के लिए किसी तरह का कदम उठाया गया है। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

    यह भी पढ़ें: 'शादी का वादा करते मुकर जाना हमेशा...', दुष्कर्म के मामले में केरल हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी