सिलीगुड़ी में भूकंप के तेज झटके, लोग दहशत में घरों और दफ्तरों से बाहर निकले
दिल्ली समेत सिलीगुड़ी में भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता 5.9 मापी गई। भूकंप का केंद्र असम के धेकियाजुली से 16 कि.मी. दूर था। भारत के अलावा नेपाल बांग्लादेश भूटान म्यांमार और चीन में भी झटके महसूस हुए जिससे लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। भूकंप के कारण लोगों में दहशत फैल गई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिलीगुड़ी में शाम 4.41 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसका केंद्र असम के धेकियाजुली से 16 किलोमीटर दूर था। वहां शाम 4:41 बजे 5.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ।
इस भूकंप का असर भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन तक महसूस किया गया। झटकों से लोग दहशत में घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। बता दें कि 2 सितंबर को भी असम के सोनितपुर में 3.5 तीव्रता का भूकंप आया था।
बता दें कि राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को म्यांमार में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया था। एनसीएस के अनुसार, भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई पर आया।
इससे पहले 4 सितंबर को म्यांमार में 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था। एनसीएस के अनुसार, भूकंप 120 किलोमीटर की गहराई पर आया था।
म्यांमार मध्यम और बड़ी तीव्रता के भूकंपों के खतरों के प्रति संवेदनशील है, जिसमें इसके लंबे तटरेखा पर सुनामी का खतरा भी शामिल है। म्यांमार चार टेक्टोनिक प्लेटों (भारतीय, यूरेशियन, सुंडा और बर्मा प्लेट) के बीच स्थित है जो सक्रिय भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं में परस्पर क्रिया करती हैं।
1400 किलोमीटर लंबा एक ट्रांसफॉर्म फॉल्ट म्यांमार से होकर गुजरता है और अंडमान के फैलाव केंद्र को उत्तर में एक टकराव क्षेत्र से जोड़ता है जिसे सागाइंग फॉल्ट कहा जाता है।
सागाइंग फॉल्ट सागाइंग, मांडले, बागो और यांगून के लिए भूकंपीय खतरे को बढ़ाता है, जो कुल मिलाकर म्यांमार की 46 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि यांगून फॉल्ट से अपेक्षाकृत दूर है, फिर भी अपनी घनी आबादी के कारण यह काफी जोखिम से ग्रस्त है।
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