आंख-अंगुली के बाद अब कान बताएगा व्यक्ति की पहचान, भोपाल स्थित आइसर के विज्ञानियों ने किया शोध
किसी भी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। अभी तक आधार कार्ड की बायोमैट्रिक पहचान ने इसे आसान बनाया है। इसमें आंखों की आइरिस फिंगर प्रिंट और चेहरे की तस्वीर ली जाती है। कुछ मामलों में इससे व्यक्ति की निजता का भी हनन होता है। व्यक्तिगत पहचान उजागर होने की समस्या भी देखी गई है।

अंजली राय, भोपाल। किसी भी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। अभी तक आधार कार्ड की बायोमैट्रिक पहचान ने इसे आसान बनाया है। इसमें आंखों की आइरिस, फिंगर प्रिंट और चेहरे की तस्वीर ली जाती है। कुछ मामलों में इससे व्यक्ति की निजता का भी हनन होता है। व्यक्तिगत पहचान उजागर होने की समस्या भी देखी गई है।
अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन रिसर्च (आइसर) के विज्ञानियों ने इसी समस्या को दूर करने के लिए पहचान का नया तरीका विकसित किया है। इसमें किसी व्यक्ति की कान की तस्वीर लेकर उसकी बनावट और विशेषता के आधार पर वर्गीकरण किया जाएगा। आइसर के डाटा साइंस विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. अक्षय अग्रवाल और शोधार्थी विशेष कुमार ने मिलकर यह अध्ययन किया है।
कान की भी अपनी बायोमैट्रिक विशेषता होती है
डा. अक्षय ने बताया कि इस अध्ययन से व्यक्ति की पहचान करना आसान हो जाएगा, इसमें व्यक्ति की निजता उजागर नहीं होगी। विज्ञानियों के अनुसार कान की भी अपनी बायोमैट्रिक विशेषता होती है। कान की संरचना के आधार पर भी इसे एक-दूसरे से अलग किया जा सकता है। इस तरीके की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे व्यक्ति की निजता बनी रहेगी। विज्ञानियों ने इस शोध को पूरा करने में एक वर्ष का समय लिया। इस शोध का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस आई में किया जा चुका है।
इस तरह से होगा अलग
विज्ञानियों के अनुसार अभी फिंगर प्रिंट लेने के लिए उस व्यक्ति को मशीन की सतह पर अंगुलियां और अंगूठा लगाना जरूरी होता है। इसी तरह चेहरे की तस्वीर लेने में उसकी व्यक्तिगत पहचान जैसे महिला, पुरुष, संभावित उम्र आदि का भी पता चल जाता है। इसके दुष्परिणाम भी देखे गए हैं। इससे अलग केवल कान की तस्वीर लेने में इस तरह की कोई समस्या नहीं आएगी। इससे किसी की पहचान भी उजागर नहीं होगी। अभी तक 300 लोगों के कान की तस्वीर लेकर डाटा का विश्लेषण किया जा चुका है।
दोनों कानों की अलग पहचान
इस अध्ययन का एक रोचक पहलू यह भी है इसमें बायें और दायें कान की अलग-अलग पहचान की जा सकती है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक तकनीक विकसित की गई है। इसमें कान की तस्वीर के आधार पर उसे अलग-अलग वर्गों में बांटकर उसकी पहचान सुनिश्चित करेगा।
पुलिस के लिए भी उपयोगी
अभी तक पुलिस फिंगर प्रिंट के डाटा से अपराधियों की पहचान करती रही है। इसमें आरोपित को पकड़कर पहचान के लिए फिंगर प्रिंट लेना अनिवार्य होता है। इस तकनीक में उसकी कान की तस्वीर दूर से भी ली जा सकती है और पहले से उपलब्ध डाटा के आधार पर पहचान सुनिश्चित की जा सकती है।

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