भारतीय विवाद समाधान केंद्र करेगा फैसलों में मध्यस्थता, जस्टिस एके सीकरी ने किया ई-उद्घाटन
आइडीआरसी देश और दक्षिण एशिया में संस्थागत वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र है जो एक छत के नीचे सभी वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के घटक प्रदान करेगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय के अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एके सिकरी ने 22 मई, शुक्रवार को भारतीय विवाद समाधान केंद्र (आइडीआरसी) का उद्घाटन किया। यह भारत में अपनी तरह का पहला संस्थागत एडीआर (वैकल्पिक विवाद समाधान) केंद्र है, जो ई-पंच निर्णय, ई-मध्यस्थता और ई-समाधान पोर्टल के जरिए ऑफलाइन सुविधा प्रदान करता है। यह पूरी तरह से कागज रहित विवाद के समाधान का माहौल प्रदान करता है। इसके पैनल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों के पूर्व जज, वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व नौकरशाह, सीए, आर्किटेक्ट, कॉर्पोरेट लीडर और अन्य लोग शामिल हैं।
भारतीय विवाद समाधान केंद्र में बड़ी संभावना
इस मौके पर जस्टिस सीकरी ने कहा कि यह विवाद समाधान केंद्र नए दृष्टिकोण के साथ आने वाले उत्साही युवाओं द्वारा स्थापित किया गया है। आईडीआरसी अधिक टेक्नोलॉजी के प्रयोग से एक लंबा रास्ता तय करने में सक्षम होगा। उन्होंने कुछ सुविधाएं प्रदान की गईं हैं, जो निश्चित रूप से अंत से डिजिटलीकरण और पूरी तरह से कागज रहित सुनवाई की तरह लीक से हटकर रास्ता तय करेगी। मुझे भारतीय विवाद समाधान केंद्र में बड़ी गुंजाइश दिखाई देती है।
पारदर्शी तरीके से काम करेगा भारतीय विवाद समाधान केंद्र
चर्चा का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिक्कू मुखोपाध्याय ने कहा कि मध्यस्थता संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता जरूरी है। यह किसी भी संस्था की सफलता का अभिन्न अंग है। जैसे पंचों को चुनौती देने के मामले में आमतौर पर इस तरह के फैसलों के लिए तर्क की कमी होती है। मुझे उम्मीद है कि आइडीआरसी पारदर्शी तरीके से इसे विश्व स्तर का केंद्र बनाने में सफल होगा। उन्होंने आगे बताया कि यह दिलचस्प है कि आइडीआरसी घरेलू मध्यस्थता नियमों के तहत थर्ड पार्टी की फंडिंग का खुलासा करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह विकसित हुआ है कि इस तरह की फंडिंग के बारे में खुलासा किया जाता है, क्योंकि यह भविष्य में चुनौती का संभावित कारण बन सकता है। यह भारत में एक विकासशील क्षेत्र है, जिसे दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया है।
संस्था का है बेहतर भविष्य
रतन के सिंह ने कहा कि जिस उत्साह के साथ केंद्र और इसके नियमों को अस्तित्व में लाया गया है, उससे मुझे भारतीय विवाद समाधान केंद्र (आइडीआरसी) के लिए एक बेहतर भविष्य दिखाई दे रहा है। नियमों की दूरदर्शिता ऐसी चीज है, जिसके लिए हर कोई तत्पर होगा। लेक्सिडेम एंड राठी के मैनेजिंग पार्टनर दिव्यांशु हनु राठी ने साझा किया कि भारत ने वर्ल्ड बैंड ईओडीबी रिपोर्ट 2020 ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में अपनी रैंकिंग में 164 से 6 तक सुधार किया है, लेकिन उन्होंने बताया कि अनुबंध प्रवर्तन में भारत का अभी भी सुस्त प्रदर्शन है, जहां 191 राष्ट्रों में हमारी स्थिति अभी भी 161 है।
जस्टिस सीकरी ने साझा किया कि इसका समाधान आइडीआरसी जैसे संस्थागत मध्यस्थता केंद्र बनाने में निहित है। इसके साथ ही एडीआर तंत्र को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ हमारे वाणिज्यिक न्यायालयों को अधिक कुशल बनाना होगा।
कैसे काम करेगा आइडीआरसी
आइडीआरसी को एक गैर लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया है। यह देश और दक्षिण एशिया में अद्वितीय और नया रास्ता बनाने वाला संस्थागत वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र है जो एक छत के नीचे सभी एडीआर के घटक प्रदान करता है। आइडीआरसी एक अनूठा मिश्रण के रूप में दोनों ऑफलाइन बुनियादी ढांचे के साथ-साथ ऑनलाइन इ-एडीआर प्लेटफार्म प्रदान करता है। आइडीआरसी के पास मध्यस्थता, समाधान और सुलह के लिए प्रारंभिक स्तर पर तटस्थ मूल्यांकन और विशेषज्ञ निर्धारण के लिए अत्याधुनिक एडीआर बुनियादी ढांचा मौजूद है। आइडीआरसी का मुख्य कायार्लय नई दिल्ली के कनॉट प्लेस क्षेत्र में होगा। साथ ही देश में रणनीतिक वाणिज्यिक स्थानों पर केंद्र रहेगा।
अपनी वेबसाइट (www.theidrc.com) और पोर्टल पर एक प्रस्तुति देते हुए संचालन प्रमुख रिया राठी ने बताया कि आइडीआरसी के पास पेपरलेस संकल्प के साथ ई-एडीआर सॉफ्टवेयर और हर स्तर पर उच्च तकनीकी डिजिटल इंवायरमेंट मौजूद है।