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    E-Challan 7563 करोड़ के, वसूली 2874 करोड़; हर साल बढ़ रही चालान की संख्या लेकिन हादसे नहीं हो रहे कम

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Mon, 10 Apr 2023 08:33 PM (IST)

    पिछले दिनों राज्यसभा में पेश किए गए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के डाटा के अनुसार साल 2021 में भी लगभग यही स्थिति रही थी जब ई चालान की राशि के मुकाब ...और पढ़ें

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    ई चालान की संख्या बढ़ रही, लेकिन एक बड़ी संख्या में लोग इस आर्थिक दंड को भर नहीं पा रहे।

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। चाहे यह सड़कों पर ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए वाहन चालकों पर सख्ती के उपायों की नाकामी हो या गलत तरीके से लोगों को दंडित करने का नतीजा, लेकिन यह आंकड़ा नीति-नियंताओं को बहुत कुछ सोचने के लिए विवश करता है कि ई चालान की संख्या भले ही बढ़ रही हो, लेकिन एक बड़ी संख्या में लोग इस आर्थिक दंड को भर नहीं पा रहे हैं।

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    सरकार के आंकड़ों के अनुसार केवल पिछले साल 7563 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि के 4.72 करोड़ के ई चालान किए गए, लेकिन केवल 2874 करोड़ की वसूली हो सकी यानी बमुश्किल 38 प्रतिशत।

    लोग नहीं भर रहे चलान

    पिछले दिनों राज्यसभा में पेश किए गए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के डाटा के अनुसार 2021 में भी लगभग यही स्थिति रही थी जब ई चालान की राशि के मुकाबले केवल 40 प्रतिशत वसूली हो सकी थी।

    2019 में मोटर वाहन कानून में संशोधन के उपरांत ट्रैफिक नियमों के पालन को लेकर प्रविधान काफी कड़े किए गए थे और यह माना गया था कि इससे लोग उल्लंघन को लेकर सचेत होंगे।

    इसके बाद चालान और चालान की धनराशि तो कई गुना बढ़ गई है, लेकिन लोगों का चालान भरना कम हो गया। इसका एक बड़ा कारण चालान के मामले कोर्ट तक पहुंचना भी है, क्योंकि लोग ई चालान को चुनौती दे रहे हैं।

    चालान काटने को लेकर आती है कई परेशानी

    इस विसंगति को सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ रोहित बलूजा राज्यों में सही सिस्टम न बन पाने का नतीजा मानते हैं। बलूजा के अनुसार छोटे-छोटे मामले कोर्ट में जा रहे हैं, जहां लोगों को चालान को चुनौती देने का अवसर ही नहीं मिल रहा है।

    एक समस्या यह है कि नंबर प्लेट पहचान सिस्टम के जरिये जो चालान किए जाते हैं, वे जरूरी नहीं कि सही व्यक्ति तक पहुंच जाएं। लोगों के पते बदल जाते हैं, गाड़ियां बिक चुकी होती हैं।

    गलत ढंग से कट रहे चालान

    इस सबके ऊपर यह भी एक सच्चाई है कि बड़ी संख्या में ऐसे चालान हो रहे हैं जो गलत हैं और जिन्हें चुनौती देने की जरूरत होती है। रोड की इंजीनियरिंग इन्फोर्समेंट के अनुकूल नहीं है।

    मसलन लाल बत्ती का उल्लंघन। कैमरा स्टाप लाइन पर गाड़ी न रुकने पर गलती नोटिस कर लेता है, लेकिन कितनी सड़कों पर स्टाप लाइन बनी हुई है। स्पीड के बोर्ड भ्रामक हैं और नजर भी नहीं आते।

    लेन अनुशासन के चालान इसलिए तर्कसंगत नहीं हैं, क्योंकि यहां दो लेन में चार-चार गाड़ियां चल रही हैं। बलूजा के अनुसार राज्यों की एजेंसियों को पहले ई चालान की गाइडलाइन को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।

    90 दिन में हो जाना चाहिए निपटारा

    केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के तहत एक चालान का 90 दिनों के भीतर निपटारा हो जाना चाहिए। अगर तब तक जुर्माना नहीं भरा जाता है तो भुगतान के लिए एक अतिरिक्त नोटिस भेजा जा सकता है।

    अगर चालान की अवधि 90 दिनों से भी अधिक है तो कोर्ट के मामलों को छोड़कर लाइसेंस और वाहन के रजिस्ट्रेशन से संबंधित आवेदनों का निस्तारण नहीं किया जाएगा।

    चूंकि मोटर वाहन कानून के प्रविधानों पर अमल राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए उन्हें ही चालान के उद्देश्य को सही अर्थों में पूरा करने के लिए अपनी एजेंसियों के कामकाज में सुधार करना होगा।