पॉटरी फेस्ट के द्वारा मर रही कला को जीवंत करने की कोशिश
पेंच टाइगर रिजर्व में यहां की मर रही पॉटरी की कला को भी जीवंत करने की कोशिश की जा रही है। 19 मई से 28 मई तक चलने वाले इस फेस्ट में पेंच आने वाले सभी टूरिस्ट आसानी से जा सकते हैं।
सिवनी (नई दुनिया)। अगर आप इन छुट्टियों में पेंच टाइगर रिजर्व में हैं तो जाहिर सी बात है कि आपको प्रकृति से प्यार होगा। अभी यहां प्रकृति के साथ-साथ आपको चाक पर घंटों बैठकर मिट्टी को नए-नए आकार में ढालने का काम भी मिल जाएगा। जी हां, यहां 'आकार' पॉटरी फेस्ट का आयोजन किया गया है जो दस दिनों तक चलेगा। इसके जरिए जरिए यहां की मर रही पॉटरी की कला को भी जीवंत करने की कोशिश की जा रही है। 19 मई से 28 मई तक चलने वाले इस फेस्ट' में पेंच आने वाले सभी टूरिस्ट आसानी से जा सकते हैं। इसमें कुम्हारों को मिट्टी के काम की नई तकनीक सिखाई जा रही है, जिससे उनके प्रोडक्ट्स को बड़े शहरों के बाजारों में जगह मिल सके।
दरअसल, पेंच टाइगर रिजर्व के पास कुम्हारों के एक छोटे से गांव 'पचधार' में उनके पारंपरिक कौशल को नया रंग दिया जा रहा है। मुश्किधल से 700 लोगों के इस गांव में सभी सिर्फ पॉटरी का काम करते हैं। ये उनकी आजीविका है, पुश्तैनी काम है साथ ही जंगल में गुजर-बसर करने का एक जरिया। आसपास के गांवों में शिक्षा के विभिन्नु स्तर पर सुधार का काम कर रही संस्थान ‘कोहका फाउंडेशन’ ने 10 दिन के वर्कशॉप 'आकार' का आयोजन किया है। वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य मॉर्डन समय में गुम होती कलाकारी को नया रूप देकर उसे बाजार के लिए तैयार करना है, जिससे कलाकार की कला एक दायरे तक न सिमट जाए और उनकी आमदनी बढ़े।
कोहका फाउंडेशन के सीईओ संजय नागर कहते हैं, 'लुप्त होती इस कला में जान डालना बहुत जरूरी है। इसके लिए कलाकारों को अपने प्रोडक्ट बाजार के लिए तैयार करने होंगे। उनमें नई कलाकारी करनी होगी, सादे पारंपरिक पॉटरी में रंग भरने होंगे। इससे न सिर्फ उनके रोजगार में फर्क आएगा साथ ही धुंधली होती ये कला फिर से जी उठेगी। यही नहीं, इस इवेंट को लेकर गांव के लोग भी खासे उत्साहित हैं। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय प्रमाणित कारीगर सतीश बोरसरे और उनकी टीम गांव के लोगों को नई तकनीक सिखा रहे हैं।
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