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अयोध्या: साक्ष्य और सच, विवादित स्थल पर पांच महीने में 90 ट्रेंचों की कर दी थी खोदाई

अयोध्या में विवादित स्थल पर 12 मार्च 2003 से 7 अगस्त 2003 तक कुल 90 ट्रेंचों की खोदाई हुई। अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे खोदाई में इंसानी मौजूदगी के अवशेष मिले हैं।

By Arti YadavEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:36 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 09:01 AM (IST)
अयोध्या: साक्ष्य और सच, विवादित स्थल पर पांच महीने में 90 ट्रेंचों की कर दी थी खोदाई
अयोध्या: साक्ष्य और सच, विवादित स्थल पर पांच महीने में 90 ट्रेंचों की कर दी थी खोदाई

नई दिल्ली, जेएनएन। एएसआइ ने पांच महीने के सीमित समय में 90 ट्रेंचों की खोदाई कर डाली थी। संस्था ने इसे अपने 142 वर्षों के इतिहास की अप्रत्याशित घटना बताया है। अयोध्या में विवादित स्थल पर 12 मार्च 2003 से 7 अगस्त 2003 तक कुल 90 ट्रेंचों की खोदाई हुई।

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अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे खोदाई में इंसानी मौजूदगी के अवशेष मिले हैं, जो उत्तर वैदिक कालीन (एनबीपीडब्लू) के हैं। इस काल खंड की वस्तुएं ग्रे, ब्लैक और लाल रंगों से पुती हुई थीं। देवियों की टेराकोटा की मूर्तियां, पहिए, बीट्स आदि मिले हैं जिनका कालखंड ईसापूर्व 300 से 1000 तक का है। खोदाई में इन कालखंडों के मिले अवशेष

शुंगकालीन अवशेष

खोदाई के दौरान भारी मात्रा में शुंग काल (ईसा पूर्व पहली और दूसरी शताब्दी) के अवशेष भी पाए गए। इसमें मदर गाडेस, इंसान और जानवरों की टेराकोटा की मूर्तियां बीट्स हेयर पिन बर्तन आदि शामिल हैं।

कुषाणकालीन अवशेष

कुषाण काल (पहली से तीसरी शताब्दी) के सबूत के तौर पर चूड़ियां, सिरेमिक के सामान, आदि मिले हैं। इस दौरान बड़ी संरचनाओं के निर्माण के साक्ष्य भी मिले पाए गए हैं।

गुप्तकालीन अवशेष

चंद्रगुप्त के (चौथी से छठवीं शताब्दी) दौर के सिक्के और बर्तनों के अवशेष मिले हैं। भवनों के अवशेष भी मिले हैं जिससे पता चलता है कि गुप्त काल में भवन निर्माण में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया और पहले की तरह ही चलता रहा।

उत्तर गुप्त-राजपूत काल

उत्तर गुप्त - राजपूत काल (सातवीं से दसवीं शताब्दी) के दौरान पकी हुई ईंटों से निमार्ण कार्य की झलक मिलती है। इसी दौर के गोलाकार मंदिर के अवशेष मिले हैं जो, कि गंगा यमुना के मैदान के समकालीन मंदिरों से मेल खाते हैं।

मध्ययुगीन सल्तनत और मध्ययुगीन काल

खोदाई में शुरुआती मध्ययुगीन काल (ग्यारहवीं से बारहवीं शताब्दी) के दौरान की एक बड़ी संरचना के अवशेष मिले। जिसके 50 में से सिर्फ चार खंबे ही मिले हैं। इस संरचना के मलबे पर खंबों के आधार वाला बड़ा हॉल मिला, जो कि रिहायशी इमारत से बिल्कुल अलग था। इसके लंबे समय तक सार्वजनिक इस्तेमाल के पर्याप्त सुबूत भी मिले हैं। इसका कालखंड बारहवीं से सोलहवीं शताब्दी का है।

मुगलकालीन अवशेष

इस काल की स्थापत्य कला को प्रमाणित करने वाले रेस्ड प्लेटफार्म के साथ ही दो सक्सेसिव फ्लोर पाए गये, जिनकी मोटाई 23 से 25 सेंटीमीटर थी। इसके बाद उत्तर मुगल काल के अवशेष मिले हैं। रिपोर्ट में बहुत विस्तार से हर काल की ढांचागत बनावट का तकनीकी ब्योरा दिया गया है।

इन्होंने तैयार की है रिपोर्ट

रिपोर्ट हरि मांझी और बीआर मणि ने तैयार की है। रिपोर्ट तैयार करने में शुभ्रा प्रमाणिक, पीके त्रिवेदी, पी. वेंकटेशन, एलएस राव, सीबी मिश्रा, एआर सिद्दीकी, टीएस रविशंकर, सीबी पाटिल, एसके शर्मा, एमवी विश्वेश्वरा, जीएस ख्वाजा, विष्णु कांत, एनसी प्रकाश, डीके सिंह, नीरज सिन्हा, एए हाशमी, भुवन विक्रम, सुजीत नयन, गजानन एल कटाडे, प्रभाष साहू, जुल्फिकार अली और एसके तिवारी ने सहयोग दिया।

रिपोर्ट में समरी और निष्कर्ष को मिला कर कुल दस चेप्टर हैं।

  • इंट्रोडक्शन वाला पहला चेप्टर बीआर मणि ने लिखा है।
  • दूसरा चेप्टर कटिंग है। जिसे बीआर मणि, सीबी मिश्रा, सीबी पाटिल और एए हाशमी ने लिखा है।
  • तीसरा चेप्टर स्ट्रेटिग्राफी एंड क्रोनोलोजी है। जिसे एलएस राव, भुवन विक्रमा, एनसी प्रकाश, और जुल्फीकार अली ने लिखा है
  • चौथा चेप्टर स्ट्रक्चर है। जिसे बीआर मणि, डीके सिंह, भुवन विक्रमा, गजानन एल कटाडे, प्रभाष साहू और जुल्फिकार अली ने लिखा है।
  • पांचवा चेप्टर पॉट्री (बर्तन) पर है। जिसे बीआर मणि, पी. वेंकटेशन, विष्णुकांत, और प्रभाष साहू ने लिखा है।
  • छठा चेप्टर ऑर्किट्रक्चलर फ्रेग्मेंट है। जिसे एलएस राव, एआर सिद्दीकी, और सुजीत नारायण ने लिखा है।
  • सातवां चेप्टर टेराकोटा फिग्यरीन (मूर्तियां) है, जिसे पीके त्रिवेदी, सीबी पाटिल और गजानन एल कटाडे ने लिखा है।
  • आठवां चेप्टर इंस्क्रिप्शन , सील, सीलिंग्स एंड क्वाइन(सिक्के) का है। इसे टीएस रविशंकर और जीएस ख्वाजा ने लिखा है।
  • नवां चेप्टर मिसलेनियस आब्जेक्ट है। जिसे सुभ्रा प्रमाणिक, एसके शर्मा और प्रकाश साहू ने लिखा है।
  • दसवां चेप्टर समरी और निष्कर्ष है।

एएसआइ ने अपनी रिपोर्ट के साथ हाईकोर्ट में जमा कराई ये चीजें

  • 47 फील्ड नोट बुक
  • 182 ड्राइंग और नक्शे
  • 7777 रंगीन निगेटिव, 1510 श्वेत श्याम निगेटिव
  • 46 एलबम में 4293 फोटोग्राफ
  • 10 वीडियो कैसेट
  • 10 सेट सीडी के जिससे अयोध्या में खोदाई के 11 वीडियो कैसेट बनाए गए
  • खोदाई में मिले मिट्टी के बर्तनों और सील न किये गये बक्सों का ब्योरा देने वाला रजिस्टर
  • खोदाई में मिले सामान का ब्योरा देने वाला रजिस्टर
  • 13 डिजिटल कैसेट और उनकी सीडी के दस सेट
  • रोजाना का ब्योरा देने वाला रजिस्टर
  • खोदाई के गड्ठावार इनडेक्स
  • एएसआइ के पूर्ण लीडर बीआर मणि ने 13 सीडी जमा कराए
  • लैपटाप की हार्डडिस्क का संक्षिप्त विवरण
  • खोदाई की सीडी और ब्रोमाइट प्रिंट

एएसआइ रिपोर्ट

  • रिपोर्ट तीन खंडों में है।
  • पहला खंड 200 पृष्ठ और दूसरा खंड 188 पृष्ठ का है। पहले और दूसरे खंड में टेक्स्ट रिपोर्ट हैं जबकि 167 पृष्ठ के तीसरे खंड में खोदाई में मिली चीजों के रंगीन फोटोग्राफ हैं।

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