Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dussehra 2023: राम बनें रावण नहीं, दशानंद की इन दस गलतियां से लें बड़ा सबक...

    By Prince SharmaEdited By: Prince Sharma
    Updated: Tue, 24 Oct 2023 07:46 AM (IST)

    Dussehra 2023 आज विजयदशमी है जैसा कि हम सभी जानते हैं आज के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत कायम की थी और इसे एक दृष्टांत के रूप में समाज के सामने प्रस्तुत किया था। इस बीच कुछ बातें ऐसे भी हैं जो रावण हमें जाने अनजाने एक सीख के रूप में छोड़ कर गया है। आइए जानतें हैं उन दस प्रेरक बातों को जिन्हें सीख कर स्वंय की जिंदगी को बदला जा सकता है।

    Hero Image
    Dussehra 2023: राम बनें रावण नहीं, दशानंद की इन दस गलतियां से लें सबक...

    ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। आज विजयदशमी है, जैसा कि हम सभी जानते हैं आज के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत कायम की थी, और  इसे एक दृष्टांत के रूप में समाज के सामने प्रस्तुत किया था, और सिलसिलेवार ढंग से तब से अब तक इस दिन को हम एक पर्व दशहरे के रूप में पूरे उत्साह के साथ मनाते आ रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन इस बीच कुछ बातें ऐसे भी हैं जो रावण हमें जाने अनजाने एक सीख के रूप में छोड़ कर गया है। आइए, जानतें हैं उन दस प्रेरक बातों को जिन्हें सीख कर स्वंय की जिंदगी को बदला जा सकता है।

    1.ज्ञान और सामर्थ्य का अंहकार ना करना

    रावण के पास धन, बल, ज्ञान सब कुछ था, मगर उसकी मृत्यु की वजह अहंकार बना। जीवन में अहंकार इंसान का सर्वस्व नष्ट कर देता है। इसलिए जरूरी है कि इंसान को हरेक कार्य धैर्य के साथ करना चाहिए और हर परिस्थिति में खुद को संयमित रखोते हुए क्रोध, ईर्ष्या एवं अंहकार से दूर रहना चाहिए।

    2.सादगी क्षमता-योग्यता का प्रमाण पत्र नहीं होता

    रावण श्री राम और लक्ष्मण को तपस्वी भेष में देखकर उनकी क्षमता और योग्यता को आंकने लगा। वह अंहकार में इतना डूब गया कि वह ईश्वर का रूप भी नहीं पहचान सका। यही कारण है कि बाद में उसकी यह अज्ञानता उसे ले डूबी और उसके वध का कारण बनी।

    3. परिजनों की सलाह व सुझाव को प्राथमिकता ना देना 

    रावण को सभी ने समझाया कि वह भगवान श्री राम से शत्रुता मोल ना ले। सीता को सकुशल लौटा आएं। लेकिन रावण ने उन्हें नजरअंदाज करते हुए अपना और अपना कुल का सर्वनाश कर दिया। रावण की पत्नी मंदोतरी से लेकर सभी वृद्ध एवं ज्ञानी पुरुषों ने बताया कि वह जिससे वह शत्रुता कर रहा है, वह स्वंय में इस ब्रह्माण्ड के स्वामी है, मगर मद में डूबे रावण ने कभी भी इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया।

    4. जिद प्रजा या परिवार से कभी बड़ी नहीं होती

    रावण की जिद के कारण लंका दहन हुई, युद्ध में सैकड़ों सैनिक और योद्धा मारे गए। एक राजा का सर्वप्रथम दायित्व यह होता है कि वह सब कुछ भुलाकर सर्वप्रथम अपने देश एवं राज्य के बारे में सोचे ना कि स्वार्थ में आकर स्वयं और राज्य का विध्वंस ना बने।

    5. छोटे से प्रेम करें, निष्कासित नहीं

    इसमें कोई दोराह नहीं कि सदैव अपनों से छोटे से प्रेम करना चाहिए। उनकी गलतियों को भी माफ कर देना चाहिए। आवेश में आकर कोई ऐसा कदम नहीं उठना चाहिए। जिससे अपने से छोटों को समस्याओं का सामना करना पड़े। यदि रावण अपने छोटे भाई विभीषण की सलाह को प्राथमिकता देता तो शायद रावण बुराई का पात्र नहीं बनता।

    6. स्त्री सम्मान को सर्वोपरी रखना

    रावण का काल माता सीता बनीं। रावण यदि सीता का हरण नहीं करता तथा यह गलती होने के पश्चात भी मर्यादित रहता तो शायद उसका हश्र इतना बुरा नहीं होता। यह सीख हर व्यक्ति को लेनी चाहिए की संयम इंसान को ऊंचा उठाता है, जबकि मर्यादित ना रहना उसे गिराता है।

    7. आपका ज्ञान सदैव व्यवहार में झलकना चाहिए

    रावण को चारों वेदों एवं 6 उपनिषेदा का ज्ञान था। रावण के दस सिर इसी ज्ञान का प्रतीक माना जाता था। मगर बावजूद इसके उसका ज्ञान व्यवहार में इसके विपरीत था।

    8. तानाशाही शासन का मार्ग नहीं होता

    रावण के स्वार्थ कारणों के चलते पूरी लंका ध्वस्त हुई। सैकंड़ों सैनिक मारे गए। लेकिन बावजूद इसके वह लगातार तानाशाही करता रहा। वह यदि उस समय भी युद्ध विराम कर देता तो सैंकड़ों सैनिकों की जान नहीं जाती।

    9. स्वार्थ और इच्छाएं त्यागना सीखना आवश्यक

    रावण ने स्वार्थ और इच्छा के चलते सर्वस्व नाश कर दिया। इसलिए कहा जाता है व्यक्ति को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। जीवन में स्वार्थ को नजरअंदाज करना ही बेहतर जीवन की ओर एक कदम है।

    10. क्रोध से दूरी बनाए रखना

    क्रोध कभी भी व्यक्ति का भला नहीं कर सकता, और इसका उदाहरण स्वयं रावण है।