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    राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी की समय पूर्व रिहाई याचिका पर समयाभाव के कारण पीठ नहीं की सुनवाई

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Fri, 14 Oct 2022 09:01 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी श्रीहरन की समय पूर्व रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर शुक्रवार को 17 अक्टूबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। नलिनी इस मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रही है।

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    राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी श्रीहरन की याचिका पर सुनवाई 17 अक्टूबर तक के लिए सुनवाई स्थगित।

    नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी श्रीहरन की समय पूर्व रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर शुक्रवार को 17 अक्टूबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। नलिनी इस मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रही है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने समयाभाव के कारण शुक्रवार को सुनवाई नहीं की। तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को नलिनी और आरपी रविचंद्रन की समय पूर्व रिहाई का समर्थन किया था।

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    तमिलनाडु सरकार ने दाखिल किया था शपथपत्र

    राज्य सरकार ने कहा था कि इन दोनों को उम्रकैद की सजा से मुक्त करने संबंधी 2018 में दिया गया परामर्श राज्यपाल के लिए बाध्यकारी है। तमिलनाडु सरकार ने दो शपथपत्र दाखिल कर शीर्ष कोर्ट को बताया है कि नौ सितंबर 2018 को मंत्रिमंडल की हुई बैठक में उसने राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था।

    जेल में काट चुके हैं 23 साल से अधिक समय

    बैठक में संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए दोषियों की सजा माफ करने की सिफारिश राज्यपाल के पास भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह प्रस्ताव तब से राज्यपाल के पास लंबित है। राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे नलिनी और रविचंद्रन 23 वर्ष से ज्यादा समय जेल में गुजार चुके हैं। फिलहाल नलिनी और रविचंद्रन सामान्य पैरोल पर बाहर हैं।

    शीर्ष अदालत ने मांगा था जवाब 

    नलिनी को वेल्लोर में महिलाओं के लिए विशेष जेल में 30 से अधिक वर्षों के लिए कैद किया गया है, जबकि रविचंद्रन मदुरै केंद्रीय जेल में बंद है और 29 साल की वास्तविक कारावास और छूट सहित 37 साल की कैद की सजा काट चुका है। मालूम हो कि शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को श्रीहरन और रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई की मांग वाली याचिका पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार से इसपर जवाब मांगा था।

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