हिमालय में प्रलय... अचानक क्यों बढ़ने लगा झीलों का आकार? बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बरकारार
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने हिमालयी ग्लेशियल झीलों के तेजी से विस्तार से संबंधित मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने अपने नोटिस में प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते जोखिम पर चिंता जताई है। तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से झीलों का आकार बड़ा हो गया है। इसकी वजह से बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। हिमालय में मौजूद ग्लेशियरों के पिघलने से इस क्षेत्र में मौजूद झीलों का आकार तेजी से बढ़ रहा है। इन ग्लेशियर झीलों के लगातार विस्तार से उत्तर भारत में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बेहद बढ़ गया है। ऐसे किसी विनाशकारी खतरे से सशंकित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लेशियर झीलों के विस्तार से जुड़े एक मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है।
ग्लेशियर झील से बाढ़ का खतरा
भारत में 67 पर्वतीय झीलों की पहचान की गई है, जिनकी सतह में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इन्हें संभावित ग्लेशियर झील से बाढ़ के लिए 'उच्च जोखिम श्रेणी' में रखा गया है।
इन प्रदेशों के लिए सबसे ज्यादा खतरा
लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की झीलों में सबसे ज्यादा फैलाव है। एनजीटी ने बढ़ते तापमान के कारण पिछले 13 वर्षों में ग्लेशियर झीलों में लगभग 10.81 प्रतिशत की वृद्धि दिखाने वाली एक समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया।
बड़ी ग्लेशियर झीलों का निर्माण
रिपोर्ट के अनुसार, तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से बड़ी ग्लेशियर झीलों का निर्माण हुआ, जिनमें अत्यधिक पानी भर गया है।
नदियों में पानी अचानक बढ़ने पर बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। इसलिए भविष्य की चुनौती को अभी से देखकर हम सभी को सतर्क हो जाना चाहिए।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने 19 नवंबर को जारी आदेश में कहा, 'भारत में ग्लेशियर से बनी झीलों का सतह क्षेत्र 2011 से 2024 तक 33.7 प्रतिशत बढ़ गया है।'
एनजीटी ने कहा कि झीलों में अचानक पानी बढ़ने के खतरे से 'ग्लेशियर झील से बाढ़' (जीएलओएफ) का खतरा बढ़ गया है, जो निचले इलाकों के समुदायों, बुनियादी ढांचे व जैव विविधता के लिए विनाशकारी हो सकता है।
उत्तराखंड समेत पांच राज्य व केंद्र शासित प्रदेश प्रभावित
ग्लेशियर झीलों में सबसे उल्लेखनीय विस्तार उत्तराखंड समेत पांच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में देखा गया है। रिपोर्ट में संभावित नुकसान को कम करने के लिए निगरानी बढ़ाने, पूर्व चेतावनी प्रणाली और बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
एनजीटी का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी
यह मामला जैव विविधता अधिनियम, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का संकेत देता है। एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया। अदालत ने प्रतिवादियों या पक्षों को 10 मार्च को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
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