राजस्थान में ड्राइवर ने स्कूल के लिए दान की 30 लाख की जमीन
सात हजार रुपए महीना कमाने वाले ड्राइवर मेजर अली ने अपनी 30 लाख रुपये की कीमत की अपनी पुश्तैनी जमीन दान कर दी। ...और पढ़ें

नईदुनिया, जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा हर वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए दिए जाने वाला भामाशाह सम्मान जब एक ड्राइवर को दिया गया तो समारोह में मौजूद हर कोई चौंक गया। सभी हैरान थे कि भला एक ड्राइवर शिक्षा के क्षेत्र में क्या योगदान दे सकता है। लेकिन सच यह है कि एक ड्राइवर ने वह कर दिखाया जो करोड़पति भी नहीं कर पाते।
किराए की गाड़ी चलाने वाले तीस वर्ष के मेजरअली सात हजार रुपए महीना कमाते हैं। गरीबी में रहने के बावजूद सरकार को 30 लाख रुपए कीमत की अपनी पुश्तैनी जमीन दान कर दी। इस जमीन पर अब सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए खेल का मैदान बनाया जाएगा।
बुधवार को राज्यस्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह में सम्मानित होने वाला मेजर अनूठे भामाशाह हैं। शेखावाटी के लावंडा गांव में रहने वाले मेजर ने सिर्फ 11वीं तक ही पढ़ाई की है। खराब आर्थिक स्थिति के कारण आगे पढ़ना संभव नहीं था इसलिए गैराज में काम करने के बाद ड्राइविंग सीख ली। मेजर का कहना है कि गांव के स्कूल में बच्चों के खेल मैदान के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। वह खुद इस स्कूल में पढ़ चुके हैं, इसलिए इस परेशानी को अच्छी तरह समझते हैं। मेजर के दो बच्चे हैं इसके बावजूद अपनी पांच बीघा जमीन भविष्य की चिंता किए बगैर सरकार को दान कर दी । मेजर के पांच भाई भी हैं। सभी की सहमति से उसने जमीन दान करने का निर्णय लिया है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विकास में भामाशाहों द्वारा दिए जा रहे अमूल्य सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में कल्पनातीत बदलाव आया है। शिक्षा विभाग, शिक्षकों, अभिभावकों, विद्यार्थियों, भामाशाहों सहित सभी को इस ऐतिहासिक कायाकल्प का श्रेय देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज राजस्थान शिक्षा सुधार एवं नवाचारों के क्षेत्र में आदर्श राज्य बन गया है। राजे बुधवार को बिड़ला सभागार में 23वें राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर शिक्षा की अलख जगाने में निस्वार्थ भाव से 62 करोड़ 32 लाख रुपए का अभूतपूर्व आर्थिक सहयोग करने वाले 109 भामाशाहों तथा 31 प्रेरकों को सम्मानित किया गया।

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