शराब और सिगरेट के शौकीन युवा हो रहे दिल की बीमारी के शिकार, AIIMS की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
एम्स, नई दिल्ली के अध्ययन में शराब व सिगरेट के शौकीन युवाओं में हृदय रोग बढ़ने की बात सामने आई है। 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों की मौत का सबसे बड़ा कार ...और पढ़ें

तस्वीर का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से किए गए एम्स, नई दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सकों के एक महत्वपूर्ण अध्ययन में शराब व सिगरेट के शौकीन युवाओं में हृदय रोग बढ़ने की बात सामने आई है।
अध्ययन में पाया गया कि 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग है। बताया कि यह बीमारी बिना किसी स्पष्ट लक्षण के चुपचाप शरीर में बढ़ती रहती है व समय पर पहचान न होने के कारण खतरनाक तरीके से जानलेवा साबित हो रही है। विशेषज्ञों ने इसे साइलेंट हार्ट डिजीज का नाम दिया है। यह जानकारी अध्ययनकर्ताओं ने एम्स में पत्रकारवार्ता में दी।
विशेषज्ञों ने इन बातों का किया विश्लेषण
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन को आईसीएमआर की शोध परियोजना के तहत एम्स के पैथोलाजी और फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच किया। विशेषज्ञों ने इसमें 2214 पोस्टमार्टम मामलों का विश्लेषण किया, जिनमें 180 मामले (8.1 प्रतिशत) अचानक मौत के थे।
इनमें से 57 प्रतिशत मौतें 18 से 45 वर्ष के युवाओं से संबंधित थीं, जिनकी औसत आयु 33.6 वर्ष पाई गई। इनमें महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की संख्या अधिक थी।
टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर ने क्या बताया?
यह अध्ययन करने वाली टीम के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता के अनुसार युवाओं में मौत के 42.6 प्रतिशत मामलों में हृदय रोग जिम्मेदार पाया गया। अधिकांश मामलों में कोरोनरी आर्टरी में गंभीर ब्लॉकेज था, लेकिन पीड़ितों को पहले से हृदय बीमारी की जानकारी नहीं थी। डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि यह इस बात का संकेत है कि घातक हृदय रोग लंबे समय तक बिना लक्षण के विकसित होता रहता है।
बताया कि दोष पूर्ण जीवनशैली इस खतरे को बढ़ा रही है। अध्ययन में पाया गया कि मरने वाले 57 प्रतिशत युवा धूमपान करते थे, जबकि 52 प्रतिशत शराब का सेवन करते थे। डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां युवाओं में अपेक्षाकृत कम पाई गईं, जो यह दर्शाता है कि तंबाकू व शराब युवाओं के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि अध्ययन में कोविड संक्रमण और कोविड वैक्सीनेशन का इन मौतों से किसी भी प्रकार का संबंध नहीं पाया गया।
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