VIDEO: एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल नाग पल भर में तबाह कर देगा दुश्मन के टैंक
डीआरडीओ (DRDO) की स्वदेशी रूप से विकसित तीसरी पीढ़ी के एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) नाग का सफल परीक्षण किया गया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल 'नाग' का पोखरण फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण करने के साथ ही इसके सेना में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने कठोर परीक्षणों के बाद 'नाग' मिसाइलों को शामिल करने की जरूरत को स्वीकार्यता प्रदान की है।
डीआरडीओ द्वारा बनाई गई यह स्वदेशी मिसाइल दुश्मन के टैंक को एक ही पल में तबाह करने में सक्षम है। इस साल के आखिर तक नाग मिसाइल का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद भारतीय सेना को इससे लैस कर दिया जाएगा।
'नाग' के भारतीय सेना में शामिल होने से भारत दुश्मन देश पाकिस्तान से मीलों आगे निकल जाएगा। असल में भारत के मिसाइल परीक्षण के साथ-साथ पाकिस्तान भी लगातार अपने मिसाइल परीक्षण को धार दे रहा है। भारत अगर अग्नि, त्रिशुल, नाग, पृथ्वी नाम की मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है तो वहीं पाक भी गौरी, शाहिन और कई खतरनाक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। लेकिन सामरिक दृष्टि से देखे तो वर्तमान में भारत पाक से काफी आगे है, क्योंकि भारत स्वदेशी मिसाइलों का उत्पादन करने में सक्षम है, जबकि पाक अब तक विदेशी हथियारों पर ही निर्भर है।
#WATCH: NAG, the DRDO’s indigenously developed 3rd Generation Anti-Tank Guided Missile (ATGM) has successfully undergone a series of summer trials at Pokhran field firing ranges carried out by the Indian Army from 7-18 July 2019. pic.twitter.com/YITIjKnIhA— ANI (@ANI) July 19, 2019
एशिया महाद्वीप में पाकिस्तान भारत का पारंपरिक दुश्मन है तो वहीं चीन भी समय समय पर भारत को आखें दिखाता रहा है, ऐसे में युद्ध के हालातों में 'नाग' मिसाइल अपने आप में किसी योद्धा से कम नहीं यह मिसाइल सभी मौसम में दुश्मनों के पूरी तरह सुरक्षित टैंकों को न्यूनतम 500 मीटर और अधिकतर चार किलोमीटर की दूरी से भेदने की क्षमता के साथ विकसित की गयी है।
ग्रीष्मकालीन परीक्षण पूरा होने के साथ अब मिसाइल के उत्पादन और सेना में इसके शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। मिसाइल प्रणाली का शीतकालीन परीक्षण फरवरी में ही संपन्न हो चुका है। एक आकलन के मुताबिक भारतीय सेना 8 हजार नाग मिसाइल खरीद सकती है। शुरुआती दौर में ही 500 नाग मिसाइलों का ऑर्डर दिया जाने वाला है। इस मिसाइल का निर्माण भारत की सरकारी कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (हैदराबाद) करेगी।
डीआरडीओ ने जानकारी दी है कि कि थर्मल इमेज के जरिये यह मिसाइल अचूक निशाना साधती है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे तबाह कर देती है। नाग मिसाइल वजन में इतनी हल्की है कि इसे इधर उधर आसानी से ले जाकर उपयोग में ले सकते हैं ।
इसे किसी ऊंची पहाड़ी पर या दूसरी किसी जगह पर मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल के जरिए ले जाना काफी आसान है। इसका कुल वजन मात्र 42 किलो है। इसकी खासियत है कि यह दिन और रात दोनों समय दुश्मन पर वार कर सकती है। इस मिसाइल को 10 साल तक बिना किसी रख रखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है। ये 230 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से अपने लक्ष्य पर निशाना साधती है।