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    डाक्टर रघु राम ने कहा, फैमिली डाक्टर व्यवस्था को करें पुनर्जीवित, इससे अस्पतालों पर बोझ होगा कम

    पद्म श्री से सम्मानित जाने माने ब्रेस्ट कैंसर सर्जन डा. रघु राम ने कहा कि फैमिली डाक्टर/जीपी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मरीज किसी भी बीमारी के लिए सबसे पहले इन्हीं के पास जाएं।

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Sat, 14 Aug 2021 02:23 AM (IST)
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    पद्म श्री से सम्मानित ब्रेस्ट कैंसर सर्जन ने सामान्य चिकित्सक प्रणाली पर भी दिया जोर

    हैदराबाद, आइएएनएस। भारत समेत पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी की भीषण चपेट में है। देश में पहले से ही नाजुक स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को इस महामारी ने उजागर कर दिया है। ऐसे में विश्व प्रसिद्ध चिकित्सक पी. रघु राम ने फैमिली डाक्टर/ सामान्य चिकित्सक (जीपी) व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की वकालत की है, जिससे स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सुधार लाया जा सकता है।

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    पद्म श्री से सम्मानित जाने माने ब्रेस्ट कैंसर सर्जन डा. रघु राम ने कहा कि फैमिली डाक्टर/जीपी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मरीज किसी भी बीमारी के लिए सबसे पहले इन्हीं के पास जाएं। इससे अस्पतालों पर बोझ कम होगा और उनके महंगे संसाधनों का उपयोग उन लोगों के लिए हो सकेगा, जिन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी।

    हाल ही में आर्डर आफ ब्रिटिश एंपायर (ओबीई) से सम्मानित डा. रघु राम ने कहा कि ब्रिटेन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में किसी विशेषज्ञ के पास जाने से पहले फैमिली डाक्टर/जीपी से दिखाने की मान्य व्यवस्था है। मरीज को देखने के बाद फैमिली डाक्टर/जीपी ही मरीज को जरूरी होने पर विशेषज्ञ डाक्टर के पास भेजता है।

    पहले सर्वव्यापी थी फैमिली डाक्टर की व्यवस्था

    उन्होंने कहा कि एक समय सर्वव्यापी रही फैमिली डाक्टर/जीपी की व्यवस्था अब लगभग खत्म हो गई है। सबसे चिंता की बात है कि मामूली बीमारी पर भी लोग अस्पताल भागे चले जाते हैं जो पहले से ही गंभीर मरीजों से भरे होते हैं।

    भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) की 2020 की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए डा. रघु राम ने कहा कि इसके मुताबिक हर साल 55 हजार निकलने वाले डाक्टरों के लिए पोस्टग्रेजुएट की 44 हजार सीटें उपलब्ध हैं यानी बड़ी संख्या में ग्रेजुएट डाक्टर स्पेशलिस्ट बन रहे हैं। लेकिन विडंबना है कि 890 पन्ना की इस रिपोर्ट में नए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में फैमिली डाक्टर/जीपी की अवधारणा के बारे में उल्लेख भी नहीं है।

    हैदराबाद स्थित कृष्णा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस-उषालक्ष्मी सेंटर फार ब्रेस्ट कैंसर के निदेशक डा. रघु राम ने कहा कि फैमिली डाक्टर/जीपी में काम करने के इच्छुक छात्रों-छात्राओं को प्रशिक्षण देने वाले मान्यता प्राप्त संस्थानों की भी भारी कमी है।

    उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमियों को सामने ला दिया है। इसलिए यह और भी जरूरी हो गया है कि फैमिली डाक्टर/जीपी प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचे को भी मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि देश की 70 फीसद आबादी गांवों में रहती है। इससे ज्यादातर मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही चिकित्सा मिल जाएगी।