विक्रम साराभाई के साथ ISRO की नींव रखने वाले वैज्ञानिक डॉ चिटनिस का निधन, 100 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखने वाले 100 वर्षीय वैज्ञानिक एकनाथ वसंत चिटनिस का पुणे में निधन हो गया। पद्मभूषण से सम्मानित चिटनिस ने थुम्बा में पहले राकेट लांच के लिए स्थल चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने एसआइटीई और इनसैट जैसे कार्यक्रमों में भी योगदान दिया। चिटनिस ने एपीजे अब्दुल कलाम का मार्गदर्शन किया।

डॉ. चिटनिस का 100 वर्ष की आयु में निधन। सोशल मीडिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महान विज्ञानी विक्रम साराभाई के साथ मिलकर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखने वाले सौ वर्षीय अंतरिक्ष विज्ञानी एकनाथ वसंत चिटनिस ने पुणे में बुधवार को अंतिम सांस ली। परिवार के सदस्यों ने बताया कि पद्मभूषण से सम्मानित चिटनिस ने जुलाई में 100 वर्ष पूरे किए थे। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और बुधवार की सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा।
एक दूरदर्शी विज्ञानी और संस्थान निर्माता चिटनिस ने केरल के थुम्बा में भारत के पहले राकेट लांच के लिए स्थल चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फरवरी, 1962 में अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, साराभाई और चिटनिस की उपस्थिति में एक बैठक ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी। भारतीय राष्ट्रीय समिति फार स्पेस रिसर्च (इंकास्पार) की स्थापना 13 फरवरी, 1962 को बैठक के कुछ दिन बाद की गई।
डॉ. चिटनिस का 100 वर्ष की आयु में निधन
चिटनिस ने सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (एसआइटीई) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो नासा और इसरो के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास था, जिसने 2400 गांवों में शैक्षिक कार्यक्रमों को पहुंचाया, जिसे सीधे घर में टेलीविजन प्रसारण का पूर्ववर्ती माना गया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सैटेलाइट सिस्टम (इनसैट) कार्यक्रम को शुरू करने और रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1981 से 1985 तक उन्होंने अहमदाबाद में इसरो के स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर (एसएसी) के दूसरे निदेशक के रूप में कार्य किया।
ISRO की नींव रखने में महत्वपूर्ण योगदान
चिटनिस ने एपीजे अब्दुल कलाम का मार्गदर्शन किया। उन्होंने पीटीआइ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और दो दशक तक स्वतंत्र निदेशक रहे। 25 जुलाई, 1925 को कोल्हापुर में जन्मे चिटनिस ने पुणे में अपनी स्कूली और उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में एमआइटी में अध्ययन किया। चिटनिस पुणे चले गए जहां वे पुणे विश्वविद्यालय से जुड़े रहे। उनके पुत्र चेतन चिटनिस पेरिस के पास्चर संस्थान में प्रमुख मलेरिया शोधकर्ता हैं। इसके अलावा, उनके परिवार में बहू अमिका और पोतियां तारिणी और चंदिनी हैं।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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