दुर्भावना को मारो, संदेशवाहक को नहीं
भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय का कहना है कि लोगों को संदेशवाहक पर हमला करने के बदले अपनी दुर्भावनाओं को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में टूजी व कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं को उजागर करने और हाल में अपनी किताब को लेकर र
नई दिल्ली। भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय का कहना है कि लोगों को संदेशवाहक पर हमला करने के बदले अपनी दुर्भावनाओं को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में टूजी व कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं को उजागर करने और हाल में अपनी किताब को लेकर राय कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं।
'द डायरी ऑफ द नेशंस कान्शंस कीपर : नॉट जस्ट एन अकाउंटेंट' के विमोचन के मौके पर बुधवार शाम आयोजित एक कार्यक्रम में राय ने कहा कि यह किसी को जबरन कुछ सुनाने का प्रयास नहीं है, और न ही किसी की जिम्मेदारी तय करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि किताब लिखते समय दिल और दिमाग में बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी। इसके बावजूद उन्हें लगा कि उनके पास लोगों को कहने के लिए एक अच्छी कहानी है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से जिस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई, उससे लगा कि किताब लिखने का फैसला बिल्कुल सही था।
राजनीति से इन्कार नहीं:
पूर्व कैग विनोद राय का कहना है कि मैं आम लोगों के बीच कुछ-न-कुछ योगदान करता रहूंगा। बीबीसी से बात करते हुए राय ने कहा कि मेरे पास 40 साल का अनुभव है और देश के लिए मैं योगदान करना पसंद करूंगा। चाहे राजनीति में करूं या राजनीति से बाहर रहकर। हालांकि सरकार या पब्लिक सेक्टर में पूर्व कैग को कोई पद देने पर रोक है, लेकिन सरकार चाहे तो राय को कोई जिम्मेदारी दे सकती है।
अगर ऐसा हुआ तो विनोद राय क्या करेंगे? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि अगर सरकार जिम्मेदारी दे और अगर वो राजनीतिक जिम्मेदारी होगी, तो मुझे कई बार सोचना होगा। मेरा किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं रहा। मैं राष्ट्रीय विचारधारा का व्यक्ति हूं। किसी भी मुद्दे पर देश प्राथमिक होना चाहिए।
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