मनमोहन सिंह करते रिलायंस की तरफदारी
पूर्व शीर्ष ऑडिटर विनोद राय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफदारी करने का आरोप लगाया है। मनमोहन ने राय को जोर देकर कहा था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ी व सम्मानित कंपनियों में से एक है। ऑडिट से निजी कंपनियों को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। यह तब की बात है जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाया था कि गैस उत्खनन सौदे में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) का पक्ष लिया जा रहा है जबकि सरकार को नुकसान हो रहा है।
नई दिल्ली। पूर्व शीर्ष ऑडिटर विनोद राय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफदारी करने का आरोप लगाया है। मनमोहन ने राय को जोर देकर कहा था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ी व सम्मानित कंपनियों में से एक है। ऑडिट से निजी कंपनियों को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। यह तब की बात है जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाया था कि गैस उत्खनन सौदे में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) का पक्ष लिया जा रहा है जबकि सरकार को नुकसान हो रहा है।
अपनी पुस्तक 'द डायरी ऑफ द नेशंस कॉन्संस कीपर, नॉट जस्ट एन अकाउंट' के जरिये राय ने कई गंभीर खुलासे किए हैं। आरआइएल कंसोर्टियम को आवंटित केजी बेसिन ब्लॉक के सरकार के आदेश पर कैग के ऑडिट पर राय ने कहा है, 'हर बार सरकार और ऑपरेटर के बीच सरकार को नुकसान की कीमत पर मामला निपटता था।' यह एक बड़ा विवाद बन गया था। कैग ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर आरोप लगाया था कि वह ऑडिट के लिए जरूरी बही खाते उपलब्ध नहीं करा रही।
राय को एक बैठक के दौरान सिंह ने कहा था कि ऑडिट को निजी क्षेत्र के सरकार के साथ भागीदारी के उत्साह में बाधक नहीं बनाना चाहिए। पूर्व पीएम ने इस बात पर खासा जोर दिया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। वह सबसे सम्मानित व ग्लोबल पहुंच के मामले में जानी मानी कंपनी है। लिहाजा, रिलायंस के पास इस तरह की बड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की पेशेवर दक्षता व वित्तीय क्षमता है। वह ग्लोबल निविदाओं में प्रतिस्पर्धा की भी क्षमता रखती है। राय ने उनकी बात मानते हुए कहा था कि सभी लोकतांत्रिक देशों में ऑडिटर जनरल ऐसी सार्वजनिक निजीभागीदारियों की ऑडिट करते हैं। सिर्फ सामान्य मुनाफा बनाने पर प्राइवेट पार्टी पर टिप्पणी नहीं करते हैं। पुस्तक के 'ए स्लिपरी डील: गैस एक्सप्लोरेशन' नामक अध्याय में इस बारे में विस्तार से लिखा गया है। 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन में सिंह की भूमिका पर पुस्तक में की गई पूर्व कैग की टिप्पणियों से पहले ही खलबली मची हुई है।
किंगफिशर लोन डिफॉल्ट सिर्फ बानगी
राय ने किंगफिशर के लोन डिफॉल्ट को सिर्फ बानगी बताया है। उन्होंने कहा है कि बैंकों में फंसे कर्जो की समस्या के पीछे साठगांठ हो सकती है। जोड़तोड़ के जरिये बड़े कर्जोका लेनदेन बैंकों पर फंसे कर्ज का दबाव बढ़ा रहा है।
कैग ने लांघी सीमा : रिलायंस
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कैग पर ही हमला बोल दिया है। कंपनी का कहना है कि केजी-डी6 गैस ब्लॉक में किए गए खर्च के ऑडिट में सरकारी ऑडिटर ने अपने दायरे का उल्लंघन किया। उसके मुताबिक, इस मामले में आठ साल पहले लिए गए परिचालन संबंधी निर्णयों पर देर से सवाल उठाए।
कैग की ओर से केजी-डी6 के 2008-09 से 2011-12 के लिए दूसरे ऑडिट की समाप्ति पर बुलाई गई आखिरी बैठक में आरआइएल ने अपनी प्रस्तुति में यह बात कही।
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