खासी परिषद ने दिया प्रधानों को फरमान, पिता के उपनाम का इस्तेमाल करने वालों को नहीं दें आदिवासी प्रमाण पत्र
मेघालय में एक स्वायत्त जिला परिषद ने सभी पारंपरिक खासी ग्राम प्रधानों को पारंपरिक नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। उन्होंने सिर्फ अपनी मां के उपनाम का इस्तेमाल करने वाले लोगों को आदिवासी प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश भी दिया है।

शिलांग, एजेंसी। मेघालय में एक स्वायत्त जिला परिषद (autonomous district council) ने सभी पारंपरिक खासी ग्राम (traditional Khasi village) प्रधानों को पारंपरिक नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने सिर्फ अपनी मां के उपनाम का इस्तेमाल करने वाले लोगों को आदिवासी प्रमाण पत्र (tribal certificates) जारी करने का निर्देश भी दिया है।
मां का सरनेम इस्तेमाल करने वालों को मिलेगा प्रमाण पत्र
खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (Khasi Hills Autonomous District Council) ने कहा कि इस कदम से खासी जनजाति में प्रचलित मातृसत्तात्मक व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी।
केएचडीसी के कार्यकारी सदस्य जमबोर वार ने बताया कि हमने पारंपरिक ग्राम प्रधानों को खासी हिल्स स्वायत्त जिला खासी सामाजिक प्रथा वंशावली कानून 1997 (Lineage Act, 1997) की धारा 3 और 12 के अनुसार आदिवासी प्रमाण पत्र (tribal certificates) जारी करने का निर्देश दिया है। इसके तहत मां के उपनाम का उपयोग करने के हमारे रिवाज का पालन करने वालों को ही खासी के रूप में पहचाना जाएगा। उन्होंने कहा कि कानून के तहत यह आदेश जारी किया गया है।
खासी के तौर पर नहीं होगी पहचान
वार ने कहा कि पिता का सरनेम इस्तेमाल करने वालों की पहचान खासी के तौर पर नहीं की जाएगी और पारंपरिक प्रधानों से कहा गया है कि वे उन्हें प्रमाण पत्र जारी न करें। उन्होंने कहा कि प्रधानों से आवेदक की ओर से दी गई जानकारी का अच्छे से सत्यापन करने को भी कहा गया है।
उन्होंने कहा कि परिषद ने पारंपरिक ग्राम प्रधानों (traditional village chiefs) को राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने या किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य बनने पर रोक लगा दी है।
15 मार्च को हुआ था फैसला
उन्होंने कहा कि इसका निर्णय 15 मार्च को परिषद की एक कार्यकारी बैठक (executive meeting of the council) के दौरान लिया गया था।
वार ने कहा कि यह आदेश नया नहीं है, लेकिन संबंधित लोगों को इस बात की याद दिलाता है कि अगर पारंपरिक ग्राम प्रधान राजनीति में शामिल हो जाते हैं, तो यह गांव उसके कामकाज और विकास को प्रभावित कर सकता है।
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