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    भारत समेत 9 देशों को ट्रंप की खुली चेतावनी, कहा- लगा देंगे 100% टैरिफ; बंद कर देंगे अमेरिकी बाजार

    डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर की जगह ब्रिक्स करेंसी अपनाने पर भारत चीन और रूस समेत नौ देशों को खुली चेतावनी दी है। हालांकि ब्रिक्स करेंसी पर अभी तक कोई खास बात नहीं हुई है। इस बीच ट्रंप ने कहा कि ब्रिक्स करेंसी अपनाने पर इन देशों को 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी बाजार भी बंद कर दिया जाएगा।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 01 Dec 2024 08:35 PM (IST)
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    डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को दी चेतावनी। (फोटो- रॉयटर्स)

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चुनाव जीतने के बाद से नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से एक के बाद अपनी आगामी सरकार की नीतियों का एलान कर रहे हैं उसकी अगली कड़ी में भारत को भी परोक्ष तौर पर निशाना बनाया गया है।

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    ट्रंप ने शनिवार को देर रात यह एलान किया कि अगर ब्रिक्स देशों (भारत, चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका समेत नौ देशों का संगठन) की तरफ से “ब्रिक्स करेंसी'' या स्थानीय मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा दिया जाता है तो इन देशों के उत्पादों पर 100 फीसद का आयात शुल्क लगाया जाएगा और अमेरिका का बाजार बंद कर दिया जाएगा।

    भारत ने अभी नहीं दी कोई प्रतिक्रिया

    अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इसे ट्रंप की तरफ से रूस और चीन पर निशाना लगाने के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन ब्रिक्स की शुरुआत करने वाले देशों में शामिल होने के नाते भारत भी इस नीति का शिकार हो सकता है। भारत ने आधिकारिक तौर पर ट्रंप के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन अधिकारी मान रहे हैं कि बतौर राष्ट्रपति इसे लागू करना ट्रंप के लिए बहुत ही टेढ़ी खीर होगी।

    साथ ही यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि ब्रिक्स संगठन के भीतर “ब्रिक्स करेंसी'' को लेकर कोई विचार नहीं है। हालांकि 23 अक्टूबर, 2024 को कजान (रूस) में हुई ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में इन देशों ने स्थानीय मुद्रा में आपसी कारोबार को बढ़ावा देने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

    अमेरिकी बाजार से विदाई को रहें तैयार

    ट्रंप ने सोशल साइट एक्स पर अपनी भावी नीति का एलान करते हुए कहा है कि ब्रिक्स देशों की तरफ से डॉलर से कारोबार करने को बंद करने के मुद्दे पर प्रतीक्षा करने की नीति अब खत्म होती है। हम इन देशों से प्रतिबद्धता चाहते हैं कि ये ना तो ब्रिक्स करेंसी स्थापित करेंगे, ना ही किसी दूसरी करेंसी को बढ़ावा देंगे जो डॉलर को विस्थापित करे तो उन्हें 100 फीसद शुल्क देना होगा और उन्हें शानदार अमेरिकी बाजार से विदाई के लिए भी तैयार रहना चाहिए। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और कोई भी देश ऐसा करता है तो उसे अमेरिका को गुडबॉय कर देना चाहिए।

    ब्रिक्स करेंसी पर कोई विचार नहीं

    20 जनवरी, 2025 को नये अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने वाले ट्रंप की यह चेतावनी तब आई है जब कुछ महीने पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर और हाल ही में (एक महीने पहले) रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यह साफ किया है कि ब्रिक्स करेंसी पर अभी कोई विचार नहीं हो रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी हाल ही में यह स्पष्ट किया था कि भारत जानबूझ कर अमेरिकी डॉलर में कारोबार नहीं करने की नीति को नहीं अपना रहा है।

    स्थानीय मुद्रा पर कारोबार पर हुई बातचीत

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवनाल ने 21 अक्टूबर 2024 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यह बात दोहराई थी कि ब्रिक्स करेंसी पर बात नहीं हो रही है लेकिन स्थानीय मुद्रा में आपसी कारोबार करने को लेकर सदस्य देशों के बीच बातचीत हो रही है।

    24 अक्टूबर 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी समेत ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि ब्रिक्स के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा देने के लिए उचित बैंकिंग सिस्टम को मजबूत किया जाएगा जो स्वैच्छिक होगा और गैर बाध्यकारी होगा। इस बारे में ब्रिक्स पेमेंट कार्य दल में आगे और बातचीत होगी।

    क्या है भारत की नीति?

    'इस बारे में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार में रुपये या गैर-डॉलर मुद्राओं को बढ़ावा देना सरकार की आधिकारिक नीति है जो आगे भी जारी रहेगी। इस समय कम से कम तीन दर्जन देशों के साथ भारत इस बारे में बात कर रहा है। इसमें अफ्रीकी देशों से लेकर कई एशियाई देश शामिल है।

    नेपाल, मालदीव, यूएई, बांग्लादेश, श्रीलंका समेत कुछ देशों के साथ होने वाले कारोबार का कुछ हिस्सा गैर-डॉलर में हो रहा है। आर्थिक शोध एजेंसी जीटीआरआई के अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत के लिए ना तो डॉलर और ना ही ब्रिक्स करेंसी का पूर्ण वर्चस्व हित में होगा। भारत को अपने वित्तीय ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।

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