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    DATA STORY: रावण दहन के साथ ही करें घरेलू हिंसा की बुराई का भी अंत

    By Vineet SharanEdited By:
    Updated: Fri, 15 Oct 2021 11:09 PM (IST)

    घर के अंदर निजी पारिवारिक मामलों के नाम पर महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2005 में इस विषय पर ‘घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम’ (Protection of Women from Domestic Violence Act) कानून पारित किया। राष्ट्रीय महिला आयोग का भी गठन हुआ।

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    महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज हुए जिसमें से सिर्फ 446 मामले घरेलू हिंसा से संबंधित थे।

    नई दिल्ली, आशीष पाण्डेय। घर से बाहर कार्यस्थल, भीड़-भाड़ वाली जगहों और सुनसान रास्तों-गलियों से बचते-बचाते जब हम अपने घर पहुँचते हैं तो हम और हमारे प्रियजन एक राहत भरी साँस लेते हैं। घर पहुँचते ही हमें सुकून और सुरक्षा का अहसास होता है, लेकिन जब उसी सुरक्षित माने जाने वाले घर में ही हमें हिंसा का सामना करना पड़े तो यह सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन और कानून का असम्मान तो होता ही है, साथ ही रिश्तों में सुरक्षा और विश्वास के भाव का भी अनादर होता है।

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    एक सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं...चाहें वो किसी भी प्रकार की हो और किसी के भी प्रति की गई हो। और जब हम घरेलू हिंसा की बात करते हैं तो ये अपराध और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि घरेलू हिंसा के अधिकतर मामलों में जीवन भर साथ निभाने की कसमें खाने वाला पति ही पत्नी के विश्वास को चोट पहुँचाता है। घर के अंदर निजी पारिवारिक मामलों के नाम पर महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2005 में इस विषय पर ‘घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम’ (Protection of Women from Domestic Violence Act) कानून पारित किया।

    समाज में महिलाओं के अधिकार को सुरक्षित करने की जरूरत समझते हुए पहले ही वर्ष 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) का गठन हो चुका था और आयोग ने समय-समय पर कई कदम भी उठाए थे। इस मामले की गंभीरता को समझते हुए NCW ने घरेलू हिंसा के मामलों को दर्ज करने के लिए 10 अप्रैल 2020 को एक व्हाट्सऐप नंबर (7217735372) लॉन्च किया। NCW द्वारा ही ‘हिंसा मुक्त घर – एक महिला का अधिकार’ नाम से एक प्रोजेक्ट पहले दिल्ली में शुरू किया गया जो अब 7 अन्य राज्यों के 22 जिलों में चल रहा है।

    नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों की यदि बात करें तो वर्ष 2020 की रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया’ के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज हुए जिसमें से सिर्फ 446 मामले घरेलू हिंसा से संबंधित थे। किंतु, यदि इसी के साथ हम राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ें देखें (मार्च 2020 से 20 सितंबर 2020 तक) तो घरेलू हिंसा के कुल 4,350 केस दर्ज हैं। इनमें से 2,907 मामले डायरेक्ट NCW के पास दर्ज हुए, जबकि 1,443 मामलों की शिकायत व्हाट्सऐप के माध्यम से प्राप्त हुई।

    वर्ष 2020 में महिलाओं के प्रति कुल अपराध में यदि हम घरेलू हिंसा का प्रतिशत देखें सबसे ख़राब स्थिति दिल्ली राज्य की है, जहाँ महिलाओं के प्रति घटित कुल अपराध में से 8% घरेलू हिंसा से संबंधित हैं। घरेलू हिंसा के कुल मामलों की संख्या के लिहाज से देखें तो सबसे अधिक 968 मामले उत्तर-प्रदेश राज्य से हैं।

    हम सबने एक महिला के लिए ‘स्वयंसिद्धा’ विशेषण का उपयोग अवश्य सुना होगा और रोज़ अपने घर से लेकर कार्यस्थल तक इसका अनुभव भी किया होगा। साथ ही हम ये भी मानते हैं कि एक महिला में 2 घरों को जोड़ने की ताकत होती है और महिला ही माँ के रूप में एक बच्चे की पहली शिक्षक होती है। तो फ़िर प्रश्न यह उठता है कि समाज व एक परिवार की इतनी महत्वपूर्ण इकाई के साथ उसके घर में या घर के बाहर कैसी भी हिंसा हम कैसे बर्दाश्त कर लेते हैं...कैसे ऐसी कोई भी घटना हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं?

    आज दशहरे के पावन पर्व पर जब हम अच्छाई पर बुराई की जीत का जश्न मन रहे हैं, तो यह उचित ही होगा कि हम अपने देश-समाज में व्याप्त रावण की दस बुराइयों में से इस एक घरेलू हिंसा नाम की बुराई का भी अंत करने का संकल्प लें। हम जब भी अपने आस-पास घरेलू हिंसा जैसी कोई भी घटना देखें तो तुरंत ही प्रशासन को इस बारे में सूचित करें और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को भी उसके अधिकारों से अवगत कराएं।

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