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घरेलू रूफटाप सौर ऊर्जा क्षमता में हो रही तेज बढ़ोतरी, साल 2023 तक 60 प्रतिशत बढ़त की उम्मीद

वित्त वर्ष 2022-23 तक भारत की घरेलू रूफटाप (छत पर लगाए जानेवाले सोलर पैनल) क्षमता में 60 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाएगी। इंस्टीट्यूट फार एनर्जी इकोनामिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आइईईएफए) की ताजा रिपोर्ट में उक्‍त अनुमान जताया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari SinghPublished: Thu, 06 Oct 2022 11:50 PM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2022 12:01 AM (IST)
घरेलू रूफटाप सौर ऊर्जा क्षमता में हो रही तेज बढ़ोतरी, साल 2023 तक 60 प्रतिशत बढ़त की उम्मीद
2022-23 तक भारत की घरेलू रूफटाप (छत पर लगाए जानेवाले सोलर पैनल) क्षमता में 60 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाएगी।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। इंस्टीट्यूट फार एनर्जी इकोनामिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आइईईएफए) की ताजा रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2022-23 तक भारत की घरेलू रूफटाप (छत पर लगाए जानेवाले सोलर पैनल) क्षमता में 60 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाएगी। घरेलू उपभोक्ताओं में बढ़ती जागरूकता एवं बचत की चाह नागरिकों को सौर ऊर्जा की तरफ तेजी से आकर्षित कर रही है। खासतौर से कोरोना के दौर से गुजरने के बाद इसमें क्रांतिकारी बदलाव देखा जा रहा है।

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ऊर्जा उत्पादन की गति में वृद्धि

यही कारण है कि घरेलू सौर ऊर्जा उत्पादन की गति में वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2021-22 में घरेलू रूफटाप सौर ऊर्जा की जो स्थापित क्षमता दो गीगावाट थी, वह वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 3.2 गीगावाट हो जाएगी। यह बढ़ोतरी करीब-करीब 60 प्रतिशत की होगी।

रूफटाप सोलर सब्सिडी योजना का बड़ा योगदान

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वर्ष दर वर्ष इसी गति से घरेलू सौर ऊर्जा स्थापन की क्षमता में वृद्धि होती रही, तो भारत बहुत जल्द सौर ऊर्जा से संबंधित अपने लक्ष्य हासिल कर लेगा।रिपोर्ट का यह भी कहना है कि इस बढ़त में केंद्र सरकार की संशोधित एवं सरलीकृत रूफटाप सोलर सब्सिडी योजना का बड़ा योगदान है। यह योजना सरकार जुलाई, 2022 में लाई थी।

30 करोड़ घरों की छतों पर सौर ऊर्जा की जा सकती है स्थापित

आइईईएफए दक्षिण एशिया की निदेशक विभूति गर्ग का कहना है कि भारत में करीब 30 करोड़ घरों की छतों पर सौर ऊर्जा स्थापित की जा सकती है और औसतन वर्ष के 300 दिन सूर्य की उपलब्धता रहती है। इससे देश के घरेलू क्षेत्र में सौर ऊर्जा स्थापन की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं। उक्त रिपोर्ट को तैयार करने में सहायक रहीं जेएमके रिसर्च की संस्थापक ज्योति गुलिया का कहना है कि पहले सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लोगों की जानकारी कम होने के कारण लोगों का झुकाव इस ओर कम था। हालांकि कोरोना के बाद लोगों की जानकारी पर्यावरण के बारे में बढ़ी है।

सात साल में 73 प्रतिशत कम हुई

रूफटाप स्थापना की लागत भारत में घरेलू रूफटाप सौर ऊर्जा स्थापना की औसत लागत 2020 में 658 डालर प्रति किलोवाट थी। यह 2013 की लागत से 73 प्रतिशत कम हो चुकी थी। इसके बावजूद यह स्विटजरलैंड, इंग्लैंड, अमेरिका और जापान जैसे देशों में सौर ऊर्जा स्थापन की लागत भारत की 2020 की दर से 3.3 से 6.4 गुना अधिक थी। अब केंद्र की वित्तीय सहायता योजना के तहत लोग अपनी पसंद के पंजीकृत आपूर्तिकर्ता से सोलर सिस्टम खरीद सकते हैं। इससे लोगों के सामने अब विकल्प भी कई होंगे।

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