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    धरती के घूमने की गति में आया है बदलाव, इसका क्‍या होगा हम पर असर, जानें एक्‍सपर्ट की जुबानी

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Wed, 06 Jan 2021 01:48 PM (IST)

    धरती की गति के घूमने में बदलाव आ चुका है। ये बदलाव बीते वर्ष जून जुलाई में आया था। इसका असर हमारे दैनिक जीवन पर क्‍या होगा। ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब जानना बेहद जरूरी है।

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    धरती के घूमने की गति में बदलाव आया है।

    नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। हम सभी जानते हैं कि धरती अपनी धुरी पर एक चक्‍कर 24 घंटे में लगाती है। वर्षों से इसी बात को हम सुनते आ रहे हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि धरती के अपनी धुरी पर घुमने के समय में बदलाव आया है। इसमें हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन ये एक ऐसी सच्‍चाई है जिसपर दुनियाभर के वैज्ञानिक भी शोध कर रहे हैं। धरती के अपनी धुरी पर घुमने में आया ये बदलाव पिछले वर्ष जून का है। डेली मेल के मुताबिक पिछले वर्ष जून में धरती के घूमने की गति में 0.5 मिलीसेकेंड की कमी आई है।

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    वैज्ञानिकों का कहना है 19 जुलाई 2020 का दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकेंड कम था। इससे पहले सबसे छोटा दिन 2005 में दर्ज किया गया था। आपको बता दें कि धरती के घूमने की गति का आंकलन एटॉमिक क्‍लॉक पर ही लगाया जा सकता है। अब एक बड़ा सवाल है कि क्‍या इसका असर हमारे जीवन पर या किसी अन्‍य चीजों पर पड़ेगा। तो इसका जवाब है, नहीं।

    नेशनल सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्‍टडीज के चेयरमेन डॉक्‍टर माधवन राजीवन का कहना है कि धरती की गति में आए इस बदलाव को रोजमर्रा के जीवन में महसूस नहीं किया जा सकता है। उनके मुताबिक इसका असर भी हमारे जीवन पर नहीं पड़ता है। लेकिन वैज्ञानिकों की गणना के लिए ये बदलाव मायने रखता है। हालांकि उनका ये भी कहना है कि इस तरह का बदलाव पूरी तरह से प्राकृतिक होता है जो कुछ दशकों के बाद होता रहता है। इसका असर हमारे पर्यावरण पर भी देखने को नहीं मिलेगा।

    आपको बता दें कि वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले कुछ दशकों से धरती के अपनी धुरी पर घूमने की गति मौजूदा समय की अपेक्षा अधिक थी। इसका अर्थ ये है कि पहले धरती तेजी से घूम रही थी और अब इसकी गति में कमी आई है। तेजी से घूमने की वजह से वैज्ञानिकों को इसमें लीप सेकेंड जोड़ने पड़ते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि 1970 से अब तक इसमें 27 लीप सेकेंड जुड़ चुके हैं। लेकिन अब चूंकि धरती के घूमने की गति कुछ कम हुई है तो इन्‍हें कम करना होगा अर्थात इन लीप सेकेंड को घटाना होगा। धरती के घूमने की गति के लिहाज से वैज्ञानिकों को एटॉमिक क्‍लॉक के समय में बदलाव करना होगा। इसके लिए इसमें नेगेटिव लीप सेकेंड जोड़ने होंगे।