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    सैम पित्रोदा का नहीं पता होगा पूरा नाम, जानकर हो जाएंगे दंग; राम मंदिर और EVM पर उठा रहे सवाल

    By Anurag GuptaEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Thu, 28 Dec 2023 06:57 PM (IST)

    2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने राम मंदिर और ईवीएम का मुद्दा छेड़कर सुर्खियां बटोरी लेकिन क्या आप उनके बारे में जानते हैं क्योंकि चुनाव नजदीक आते ही सैम पित्रोदा सुर्खियों में छाने लगते हैं। उन्हें राजीव गांधी और अब राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। हालांकि केंद्र में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान अहम पदों पर रहे हैं।

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    इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने राम मंदिर और ईवीएम का मुद्दा छेड़कर सुर्खियां बटोरी। पहले उन्होंने सवाल खड़ा किया कि क्या राम मंदिर की असली मुद्दा है? और फिर उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले अगर ईवीएम को सही नहीं किया गया तो भाजपा 400 से अधिक सीटें भी जीत सकती हैं। तो आइये जानते हैं कि कौन हैं भारतीय सूचना क्रांति के अग्रदूत माने जाने वाले सैम पित्रोदा, जिनका नाम चुनावी मौसम में अक्सर सुनाई देने लगता है।

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    कौन हैं सैम पित्रोदा?

    हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले सैम पित्रोदा को भारतीय सूचना क्रांति का अग्रदूत माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है उनका पूरा नाम क्या है, क्योंकि कई बार सैम पित्रोदा के नाम को लेकर लोगों के ज़हन में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में हम आपको बता दें कि सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उनकी वेबसाइट www.sampitroda.com पर मौजूद विभिन्न अवॉर्ड्स में उनका नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा लिखा हुआ है।

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    बकौल वेबसाइट, सैम पित्रोदा के नाम लगभग 20 मानद पीएचडी और 100 से अधिक पेटेंट हैं। उन्होंने अब तक पांच किताबें लिखी हैं और विश्वभर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में उन्होंने वक्तव्य दिए हैं।

    गुजराती परिवार से आते हैं सैम पित्रोदा

    सैम पित्रोदा का जन्म चार मई, 1942 को ओड़िशा के तितलागढ़ में हुआ था और वह अपनी के साथ शिकागो में रहते हैं। भारत के अलावा अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करने वाले सैम पित्रोदा एक भारतीय अविष्कारक, कारोबारी, विकासशील सोच रखने वाले और नीति निर्माता हैं। वह पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित सैम पित्रोदा का परिवार ओडिशा से आकर गुजरात में बस गया था। उन्होंने वडोदरा और शिकागो से शिक्षा ग्रहण की।

    कांग्रेस नेता को 80 के दशक में भारत की दूरसंचार और प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है। साल 1984 में कांग्रेस सरकार के बुलाए पर वह भारत लौटे और दूरसंचार नीति को दिशा देने के काम में जुट गए। वह भारत के दूरसंचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी रहे हैं। हालांकि, 90 के दशक में सैम पित्रोदा वापस अमेरिका लौट गए और डॉ. मनमोहन सिंह के बुलावे पर वापस लौटे और भारतीय ज्ञान आयोग (2005-2009) का नेतृत्व किया।

    पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह के सलाहकार के रूप में भी सैम पित्रोदा ने अपनी सेवाएं दी हैं। राजीव गांधी सरकार में उन्होंने दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी उत्पादन और तिलहन से संबंधित छह प्रौद्योगिकी मिशनों का नेतृत्व किया था।

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    ...तो राहुल के भी करीबी हैं सैम

    सैम पित्रोदा को राजीव गांधी का करीबी माना जाता है। हालांकि, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उनका दबदबा बढ़ता ही गया और अब उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। राजीव गांधी की वजह से ही सैम पित्रोदा की राजनीति में एंट्री हुई। उन्हें 2017 में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।