बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने लगाई गुहार, पैसा लौटाने के लिए जेपी एसोसिएट्स की संपत्तियां न बेचने दें
आइसीआइसीआइ बैंक के अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि अगर जेएएल को जेआइएल की देनदारियां चुकाने के लिए बाध्य किया गया तो इसका जेएएल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को कर्ज देने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सब्सिडरी कंपनी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) के गृह खरीददारों का पैसा लौटाने के लिए मूल कंपनी जेएएल की संपत्तियों का इस्तेमाल न किया जाए।
जेएएल ने प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ को बताया कि अगर उसे मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सीमेंट प्लांट समेत अपनी कुछ चुनिंदा संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी जाए तो वह गृह खरीददारों का पैसा लौटाने के लिए 600 करोड़ रुपये और जमा कराने की इच्छुक है। जेएएल पहले ही सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा करा चुकी है।
वहीं, आइसीआइसीआइ बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कंसोर्टियम की ओर से पेश अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि जेएएल अपने रीस्ट्रक्चरिंग प्लान के साथ इलाहाबाद स्थित नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जा चुकी है। जबकि गृह खरीददारों के पैसों की देनदार जेएएल की सब्सिडरी जेआइएल को बंद करने की प्रक्रिया जारी है। दोनों मसलों को अलग करने की जरूरत पर बल देते हुए श्याम दीवान ने कहा कि जेएएल में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के 21,593 करोड़ रुपये लगे हुए हैं।
इनमें से 4,750 करोड़ रुपये तो सिर्फ आइसीआइसीआइ बैंक के हैं। अगर जेएएल को जेआइएल की देनदारियां चुकाने के लिए बाध्य किया गया तो इसका जेएएल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इंसॉल्वेंसी रेसोल्यूशन प्रोफेशनल की ओर से पेश एडीशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संशोधित इंसॉल्वेंसी लॉ का हवाला देते हुए कहा कि अब गृह खरीददारों को ऋणदाताओं की सूची में शामिल कर लिया गया है लिहाजा इंसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग में उनके हितों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। गृह खरीददारों की याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।