Supreme Court: 'मौजूदा स्थिति में महिला सैन्य अधिकारियों का मनोबल न गिराएं', इस मामले में बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह स्थाई कमीशन की मांग कर रही शार्ट सर्विस कमीशन की याचिकाकर्ता महिला सैन्य अधिकारियों को अगली सुनवाई तक सेवा मुक्त न करे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगस्त तक स्थगित करते हुए केंद्र सरकार से अगली सुनवाई तक महिला सैन्य अधिकारियों को सेवा मुक्त न करने का आदेश दिया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह स्थाई कमीशन की मांग कर रही शार्ट सर्विस कमीशन की याचिकाकर्ता महिला सैन्य अधिकारियों को अगली सुनवाई तक सेवा मुक्त न करे।
महिला अधिकारियों का मनोबल न गिराएं- सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने फिलहाल महिला अधिकारियों को सेवा मुक्त न किये जाने का आदेश देते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति में उनका मनोबल न गिराएं। वे प्रतिभाशाली अधिकारी हैं उनकी सेवाओं का उपयोग कहीं और किया जा सकता है। यह वो समय नहीं है जबकि उन्हें कोर्ट के चक्कर लगाने लगाने के लिए कहा जाए। उनके पास देश की सेवा करने के लिए बेहतर जगह है।
ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति सूर्य कांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 69 महिला सैन्य अधिकारियों की स्थाई कमीशन मांगने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को कीं।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगस्त तक स्थगित करते हुए केंद्र सरकार से अगली सुनवाई तक महिला सैन्य अधिकारियों को सेवा मुक्त न करने का आदेश दिया।
एडीशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कही ये बात
हालांकि इससे पहले मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा ये प्रशासनिक फैसला है।
भारतीय सेना को युवा अधिकारियों की आवश्यकता होती है
भाटी ने कहा कि ये सैन्य बल को युवा रखने के लिए लिया गया एक नीतिगत प्रशासनिक फैसला है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को युवा अधिकारियों की आवश्यकता होती है और हर वर्ष केवल 250 अधिकारियों को स्थाई कमीशन दिया जाता है। इस पर पीठ की टिप्पणी थी कि युवा अधिकारियों को ट्रेंड और गाइड करने के लिए अनुभवी अधिकारियों की भी जरूरत होती है।
पीठ ने कहा कि वो लोग हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं ।हम सब अपने को उनके सामने बहुत छोटा महसूस करते हैं। एएसजी भाटी ने भी सुरक्षा बलों की सतर्कता और देश सेवा का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्र सोता रहता है जबकि सुरक्षा बल पूरी रात जागते रहते हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी का सुनवाई में किया गया जिक्र
तभी एक याचिकाकर्ता महिला सैन्य अधिकारी गीता शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने पहलगाम में पर्यटकों पर हमले के बदले में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी का जिक्र किया, कि किस तरह कर्नल कुरैशी देश को गौरवान्वित कर रही हैं।
वकील का इशारा सुप्रीम कोर्ट के 17 फरवरी 2020 के महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमीशन से संबंधित बबिता पुनिया के मामले में दिये गए फैसले की ओर था जिसमें कोर्ट ने महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमीशन के लिए विचार करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने महिला सैन्य अधिकारियों की उत्कृष्ट उपलब्धियों का उदाहरण देते हुए जिन नामों को गिनाया था उसमें कर्नल कुरैशी का भी नाम था। हालांकि शुक्रवार को पीठ ने वकील की इस संबंध में दी गई दलीलों पर कोई टिप्पणी किये बगैर कहा कि कोर्ट के समक्ष कानूनी मामला है। इसका अधिकारियों की उपलब्धी से कोई लेना देना नहीं है।
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