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    23 साल बाद लहसुन-प्याज आया याद? पति-पत्नी के तलाक की वजह जानकार हर कोई हैरान

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 12:09 AM (IST)

    गुजरात के अहमदाबाद में एक अनोखा मामला सामने आया है। 23 साल की शादी के बाद एक पति ने पत्नी से तलाक मांगा है, जिसकी वजह सुनकर हर कोई हैरान है। पति का कह ...और पढ़ें

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    23 साल बाद पति ने मांगा तलाक

    राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। गुजरात के एक दंपती का केवल इसलिए तलाक हो गया, क्योंकि पति को लहसुन और प्याज खाना पसंद था। स्वामीनारायण संप्रदाय से जुडी पत्नी को पति की यह आदत अच्छी नहीं लगती थी। वर्षों तक एक घर में अलग-अलग रसोई चलती रही और अंतत: रिश्ते का ही अंत आ गया।

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    गुजरात हाई कोर्ट ने अहमदाबाद की एक पारिवारिक अदालत के तलाक के फैसले को बरकरार रखा, जिससे पति-पत्नी के बीच प्याज और लहसुन के सेवन को लेकर लंबे समय से जारी विवाद का अंत हो गया।

    23 साल बाद पति ने मांगा तलाक

    न्यायमूर्ति संगीता विशेन और न्यायमूर्ति निशा ठाकोर की खंडपीठ ने तलाक को चुनौती देने वाली महिला की अपील को खारिज कर दिया। पत्नी ने अपनी अपील में कहा कि मामला उसके एक खास संप्रदाय (स्वामीनारायण संप्रदाय) को मानने से जुड़ा है। इस संप्रदाय के अनुयायी प्याज और लहसुन नहीं खाते।

    अहमदाबाद के इस जोड़े की शादी 2002 में हुई थी। पति की मां पत्नी के लिए प्याज और लहसुन के बिना अलग से खाना बनाती थी, जबकि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए प्याज लहसुन वाला खाना बनाया जाता था। फैसले में कहा गया है कि प्याज-लहसुन का सेवन दोनों पक्षों के बीच विवाद का मुख्य कारण था।

    हालांकि, हाई कोर्ट में दायर याचिका में पत्नी ने तलाक पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। आदेश में कहा गया है कि पत्नी तलाक का विरोध नहीं कर रही, बल्कि मुख्य चिंता गुजारा भत्ते को लेकर है। इससे पहले पति ने अहमदाबाद के महिला थाने में एक आवेदन दायर किया था, जिसमें अपीलकर्ता (पत्नी) द्वारा अत्याचार और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।

    पत्नी के लहसुन-प्याज डालने से नाखुश

    पति से अनबन के कारण पत्नी 2007 में अपने बच्चे के साथ ससुराल छोड़कर चली गई थी। 2013 में पति ने अहमदाबाद पारिवारिक न्यायालय में इस आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी कि उसके साथ क्रूरता की गई है। पत्नी ने उसे छोड़ दिया है।

    पारिवारिक न्यायालय ने मई 2024 में तलाक को मंजूरी दे दी। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय के निर्देश के बावजूद उसे 18 महीने से गुजारा भत्ता नहीं दिया गया है।

    अहमदाबाद के परिवार न्यायालय में मामला

    पत्नी के वकील ने कोर्ट को बताया कि कुल बकाया गुजारा भत्ता 13,02,000 रुपये था, जिसमें से उसे अंतरिम गुजारे भत्ते के रूप में 2,72,000 रुपये मिल चुके हैं। मुकदमे के दौरान पति ने 4,27,000 रुपये पहले ही जमा कर दिए थे।

    हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सत्यापन के बाद यह राशि पत्नी को हस्तांतरित की जाए। पति को निर्देश दिया कि वह शेष राशि पारिवारिक न्यायालय में जमा कराए, जो धनराशि को महिला के बैंक खाते में हस्तांतरित कर देगा।