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    Health Tips: बढ़ती उम्र में बरतेंगे थोड़ी सावधानियां तो बुढ़ापे में सेहत रहेगी बढ़िया

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 02 Mar 2021 03:26 PM (IST)

    भोपाल के एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरेंद्र कुमार राय ने बताया कि वृद्धावस्था में शरीर के अंगों की कार्यक्षमता धीमी पड़ जाती है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बुजुर्गो को चाहिए कि वे खुद स्वास्थ्य के प्रति रहें गंभीर..

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    बुजुर्गो को चाहिए कि वे खुद स्वास्थ्य के प्रति रहें गंभीर और स्वजन भी रखें उनकी सेहत का खयाल..

    शशिकांत तिवारी। भारत में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 11 करोड़ वृद्धजन हैं। अनुमान है कि 2050 तक देश की आबादी में करीब 20 फीसद बुजुर्ग होंगे। कोरोना संक्रमण के दौर में यह जरूरी है कि बुजुर्ग अपना ध्यान रखें साथ ही स्वजन भी बुजुर्गो के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें। वृद्धावस्था उम्र बढ़ने की एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के कार्य करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। लिहाजा यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इस अवस्था में डायबिटीज व उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां हो जाती हैं और यह बीमारियां अन्य बीमारियों के खतरे को बढ़ाती हैं।

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    कोरोना संक्रमण ने बुजुर्गो के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। संक्रमित होने पर इनके गंभीर होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा रहता है। ऐसे में कोरोना ही नहीं हर तरह के संक्रमण से उन्हें अपना बचाव करना है। युवा अवस्था में शरीर के सभी अंग अतिरिक्त काम करते हैं। ऐसे में जब कोई बीमारी होती है तो यही अतिरिक्त रूप से किया गया काम ही शरीर के लिए प्रतिरोधक होता है। इसमें बीमारियों से लड़ने वाला प्रतिरक्षा तंत्र भी शामिल है। वृद्धावस्था में ये अंग अतिरिक्त काम नहीं कर पाते। ऐसे में कोई भी संक्रमण होने पर उनकी हालत जल्दी बिगड़ने लगती है।

    वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियां और बचाव: भूलने की बीमारी (डिमेंशिया और डेलीरियम) यह बीमारी वृद्धावस्था में आम है। इसमें मस्तिष्क कमजोर होने के कारण ठीक से काम नहीं कर पाता है और भूलने की समस्या हो जाती है, जैसे खाना खाने के बाद यह भूल जाना कि खाना खा लिया है या नहीं। एक ही बात को बार-बार पूछना। रास्ता भूल जाना। नाम और चेहरा भूल जाना। दिन-रात का अंतर भूल जाना आदि। ये लक्षण दिखने पर चिकित्सक से परामर्श लें, क्योंकि सही देखरेख होने पर इन कमियों को ठीक किया जा सकता है या कम किया जा सकता है। परिवार के सदस्यों को इन बीमारियों से संबंधित आवश्यक बचाव भी समझाया जाता है ताकि गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों की देखरेख ठीक से की जा सके।

    गिरने की समस्या: वृद्धावस्था में यह एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से सिर में चोट लगना, सिर के अंदर खून बह जाना, कूल्हे या अन्य हिस्से की हड्डी टूटना आदि। कई वृद्धजन एक ही चश्मे में पढ़ने का और दूर देखने का लेंस लगवा लेते हैं। इसकी वजह से भी चलते समय गिरने की समस्या बढ़ सकती है। चलने-फिरने का अलग चश्मा रखने में समझदारी है। गिरने से बचने के अन्य प्रमुख उपाय हैं, जैसे बाथरूम या गीले स्थानों पर फिसलन रोधी सतह बनाना, टॉयलेट से उठने के स्थान पर दीवार में हैंडल लगवा देना, घर को प्रकाशयुक्त रखना। गिरने पर चिकित्सक की सलाह भी जरूरी है, क्योंकि गिरना केवल एक लक्षण है, जिसका कारण खोजकर उसका निवारण जरूरी है।

    दिखने और सुनने में कमी: उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद व आंख की अन्य तकलीफें शुरू हो जाती हैं। शुगर का स्तर बढ़ने से भी दिखाई देना कम हो सकता है। इसी तरह से कम सुनने की भी समस्या आती है। इनका उपचार संभव है। इन दिक्कतों के चलते वृद्धजन खुद को समाज और परिवार से दूर कर लेते हैं और कई प्रकार की मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।

    पेशाब नली का संक्रमण: पेशाब करने में जलन या दर्द होना, बुखार आना पेशाब नली में संक्रमण के लक्षण होते हैं। पेशाब का संक्रमण लगभग 30 फीसद वृद्धों को हो सकता है। प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना इसका एक प्रमुख कारण है। पूरी पेशाब न आने से संक्रमण हो जाता है। लक्षण शुरू होते ही विशेषज्ञ से सलाह लेकर उन्हें इस समस्या से बचाया जा सकता है।

    निद्रा की कमी: यह वृद्धावस्था की सामान्य परेशानी है। सामान्यतया एक वयस्क को सात-आठ घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। बार-बार पेशाब लगना, जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द, अच्छे से सांस नहीं ले पाना इसकी प्रमुख वजह है। कम नींद से याददाश्त कम होने के साथ मानसिक परेशानियां भी बढ़ती हैं। अच्छी नींद के लिए तनावमुक्त होना भी जरूरी है। इसके लिए योग और ध्यान करें। सोने के एक घंटे पहले से स्क्रीन से दूरी बनाएं।

    लकवा और दिल का दौरा: इन बीमारियों का खतरा वृद्धावस्था में बढ़ जाता है। ये बीमारियां मस्तिष्क व दिल की खून की नली बंद हो जाने से होती हैं। यदि इन नालियों को तुरंत खोल दिया जाए तो जान जाने या अपंगता से मरीज को बचाया जा सकता है। चेहरे में कोई असर जैसे मुंह टेढ़ा होना, किसी अंग में कमजोरी और बोलने में दिक्कत लकवा के लक्षण हो सकते हैं। मस्तिष्क या दिल की खून की नली बंद होने से हर मिनट इन अंगों की लाखों कोशिकाएं मरने लगती हैं।

    सीओपीडी: इसे क्रॉनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज कहा जाता है। इस बीमारी में लगातार वायु प्रदूषण में रहने से सांस नली संकरी हो जाती है। इस वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कई मरीज अस्थमा और सीओपीडी में फर्क नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को धूल और धुआं से बचना चाहिए।

    बुजुर्गो के कुछ खास व्यायाम

    नियमित कसरत वृद्धावस्था की समस्याओं से बचने का एक प्रमुख उपाय है। इन कसरतों को मुख्यत: चार भागों में बांटा जा सकता है

    हृदय और धमनियों को मजबूत करने की कसरत (कार्डियोवैस्कुलर ट्रेनिंग)।

    संतुलन के लिए कसरत (बैलेंसिंग ट्रेनिंग )।

    लचीलापन बनाए रखने के लिए कसरत (रिलैक्सेशन ट्रेनिंग)।

    मांसपेशियों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की कसरत।

    ऐसे रहें फिट

    योग के विभिन्न आसन और ध्यान के साथ-साथ रोज 10 हजार कदम तेज टहलने से अच्छी कसरत हो जाती है। अत: बुढ़ापे का इंतजार करने के बजाय शुरू से ही अगर नियमित कसरत की जाए तो बुढ़ापा काफी सुखमय हो सकता है।