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दिग्विजय सिंह की इमरान खान को नसीहत, बोले- आतंकियों पर करें सख्त कार्रवाई, तभी बातचीत संभव

दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब तक इमरान खान सरकार आतंकियों पर सख्त कार्रवाई नहीं करती भारत-पाक वार्ता दोबारा शुरू नहीं हो सकती। इमरान खान ने दोनों देशों के बीच स्थगित वार्ता के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहराया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 11:04 AM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 11:04 AM (IST)
दिग्विजय सिंह की इमरान खान को नसीहत, बोले- आतंकियों पर करें सख्त कार्रवाई, तभी बातचीत संभव
भारत द्वारा वांछित शीर्ष 31 आतंकवादियों में शामिल है हाफिज सईद और मसूद अजहर का नाम

इंदौर, पीटीआइ। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता की बहाली तभी संभव है जब इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार 26/11 के मुंबई आतंकी हमले और भारतीय धरती पर अन्य हमलों के अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है।

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आरएसएस पर दिए इमरान खान के बयान पर बोलते हुए सिंह ने पीटीआई से कहा, '"वे सभी लोग भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता को फिर से शुरू करने के रास्ते में बाधा हैं जिन्होंने उन्हें मुंबई और भारत में अन्य स्थानों पर आतंकवादी हमले करने वालों को आश्रय और वित्त प्रदान किया।' इमरान खान ने दोनों देशों के बीच स्थगित वार्ता के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहराया है।

भारत द्वारा वांछित शीर्ष 31 आतंकवादियों में शामिल हाफिज सईद और मसूद अजहर का नाम लेते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि पाकिस्तान सरकार उन लोगों को पूरी तरह से आश्रय दे रही है जो भारत विरोधी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। राज्यसभा सांसद ने पूछा कि अगर इमरान खान सरकार इन लोगों को आश्रय देना जारी रखती है और उनके खिलाफ दृढ़ता से कार्रवाई नहीं करती है, तो दोनों पड़ोसियों के बीच बातचीत कैसे शुरू हो सकती है?

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि जिस औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून के तहत महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया था, उसकी अब जरूरत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विरोधियों की आवाज दबाने के लिए राजद्रोह कानून का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा, 'सभी राजनीतिक दलों को देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता के बारे में सोचना चाहिए।'

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाए जाने वाले जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पर सवाल उठाते हुए सिंह ने कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य केवल मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा मुहैया कराती है, तो जनसंख्या वृद्धि अपने आप कम हो जाएगी।


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