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    बैंकों के लिए सिरदर्दी बनी डिजिटल पेमेंट फ्रॉड, दस साल में 722 करोड़ का हुआ नुकसान

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 09:08 PM (IST)

    पिछले दस सालों में बैंकों में डिजिटल पेमेंट धोखाधड़ी के 63315 मामले सामने आए हैं जिससे 733 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वित्त मंत्रालय के अनुसार सरकार डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है जिसमें फ्रॉड से पूर्व की अलर्ट प्रणाली और यूपीआई भुगतान के लिए कई प्रावधान शामिल हैं। आरबीआई और अन्य एजेंसियां भी इस दिशा में काम कर रही हैं।

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    पिछले 11 सालों में डिजिटल भुगतान फ्राड के 1.25 लाख से अधिक मामले हुए।(फोटो सोर्स: जागरण ग्राफिक्स)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल फ्रॉड को लेकर कांग्रेस और सरकार के दावे में आसमान जमीन का अंतर दिख रहा है। गत एक जून को कांग्रेस की तरफ से एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा गया कि जनता की गाढ़ी कमाई बचाने में मोदी सरकार नाकाम रही।

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    डिजिटल बैंकिंग भुगतान में फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और पिछले 11 सालों में डिजिटल भुगतान फ्राड के 1.25 लाख से अधिक मामले हुए और इन वजहों से लोगों को 6.36 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठना पड़ा।

    डिजिटल भुगतान से जुड़े फ्रॉड के 63,315 मामले दर्ज किए गए

    दूसरी तरफ, वित्त मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि कमर्शियल बैंक और देश भर के वित्तीय संस्थानों की तरफ से दर्ज मामलों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर पिछले साल दिसंबर तक में बैंकों में डिजिटल भुगतान से जुड़े फ्रॉड के 63,315 मामले दर्ज किए गए। इनमें कार्ड, इंटरनेट या डिजिटल भुगतान से जुड़े एक लाख रुपए से अधिक वाले फ्राड शामिल हैं।

    मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक फ्राड के कारण पिछले 11 सालों में 6.36 लाख करोड़ नहीं बल्कि 733.26 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।वित्त मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सरकार की तरफ से पिछले 11 सालों से डिजिटल बैं¨कग के फ्राड को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। डिजिटल पेमेंट फ्राड को रोकने के लिए सभी सरकारी बैंकों में फ्राड से पूर्व की अलर्ट प्रणाली लगाई गई है।

    UPI भुगतान के लिए किए गए कई प्रविधान 

    वैसे ही, सभी सरकारी बैंकों को कहा गया है कि 50 करोड़ से अधिक की लोन सुविधा रखने वाली कंपनियों के निदेशक व प्रमोटर्स के पासपोर्ट की सत्यापित कापी वे अपने पास रखें। इसके अलावा नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से भी यूनिफायड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) भुगतान को सुरक्षित रखने के लिए कई प्रविधान किए गए है। आरबीआइ भी लगातार इस दिशा में काम कर रहा है।

    इन सबके अलावा वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय ने साइबर फ्राड पर रोक के लिए इंडियन साइबर क्राइम कोरडिनेशन सेंटर (आई4सी) नामक राष्ट्रीय एजेंसी की स्थापना की है। एक लाख से अधिक राशि वाले डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड के मामले व नुकसान। 

    वर्ष फ्रॉड की संख्या राशि नुकसान (करोड़ में)
    2014-15 845 18.46
    2015-16 1,191 26.90
    2016-17 1,372 27.78
    2017-18 2,058 79.79
    2018-19 1,866 51.74
    2019-20 2,677 44.22
    2020-21 2,545 50.10
    2021-22 3,596 80.33
    2022-23 6,699 69.68
    2023-24 29,082 177.05
    2024-25 (24 दिसंबर तक) 13,384 107.21