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    58 करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट के मामले में निकला इंटरनेशनल लिंक, इन 3 देशों से जुड़ी है मनी ट्रेल

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 06:44 PM (IST)

    मुंबई में 58 करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट मामले में अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन सामने आया है। महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने हांगकांग, चीन और इंडोनेशिया तक मनी ट्रेल का पता लगाया है। धोखेबाजों ने ईडी और सीबीआई के अधिकारी बनकर एक बुजुर्ग व्यवसायी से 58 करोड़ रुपये ठगे। लूटी गई रकम क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से देश से बाहर भेजी गई। पुलिस ने 26 लोगों को गिरफ्तार किया है और कई बैंक खाते फ्रीज किए हैं।

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    डिजिटल अरेस्ट मामले में बड़ा खुलासा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई के 58 करोड़ रुपये के डिजिटल अरेस्ट मामले में इंटरनेशनल लिंक सामने आए हैं। महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने हांगकांग, चीन और इंडोनेशिया तक मनी ट्रेल का पता लगाया है।

    यह स्कैम तब हुआ था जब मुंबई में 72 साल के एक बुजुर्ग बिजनेसमैन ने शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई के अधिकारी बनकर धोखेबाजों का फोन आया। उन्होंने उन पर एक अपराध में शामिल होने का आरोप लगाया और उनसे जांच में सहयोग करने की मांग की।

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    इसके बाद पीड़ित को कई घंटों तक एक वीडियो कॉल पर रखा गया, जिसमें उसे धमकाया गया और पैसे ट्रांसफर करने के लिए उकसाया गया। कॉल एंड होने तक उसके खाते से 58 करोड़ रुपये की भारी रकम निकाल ली गई।

    मामले में क्या खुलासा हुआ?

    अधिकारियों ने बताया कि घोटाले के माध्यम से लूटी गई पूरी रकम क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन का उपयोग करके देश से बाहर ट्रांसफर कर दी गई। महाराष्ट्र साइबर पुलिस की जांच से पता चला है कि यह कोई अकेला मामला नहीं है, बल्कि एक इंटरनेशनल गैंग का हिस्सा है जो पिछले एक साल से पूरे भारत में लोगों को ठग रहा है।

    पुलिस का यह भी दावा है कि यह मामला लगभग 2,000 करोड़ रुपये के ऑनलाइन धोखाधड़ी के एक बहुत बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। अधिकारियों का कहना है कि यह स्कैम एक गैंग चला रहा है कमीशन बेस्ट बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करता है, जिसे सहयोगी कंट्रोल करते हैं और कलेक्शन प्वाइंट के रूप में काम करते हैं।

    इस तरह भेजा जाता था देश से बाहर पैसा

    डिजिटल अरेस्ट के हर मामले में पीड़ितों को ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए कहा जाता था। यह रकम पहले भारतीय अकाउंट में पहुंची थी फिर तुरंत इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेशी वॉलेट में भेज दिया जाता था। इससे घोटालेबाजों को देश से बाहर पैसा भेजने में मदद मिलती थी।

    अधिकारियों ने कहा, "यह पूरा नेटवर्क एक साल से अधिक समय से सक्रिय था। पैसे के लेन-देन का पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि हर लेनदेन के बाद क्रिप्टो को तुरंत कई वॉलेट्स के बीच ट्रांसफर कर दिया जाता था।" डिजिटल लेनदेन की जांच में अब तक सामने आए कई आईपी एड्रेस और एक्सचेंज डिटेल्स चीन, हांगकांग और इंडोनेशिया से जुड़े हैं।

    मामले में क्या प्रगति हुई?

    मुंबई साइबर पुलिस ने इस मामले में कई बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट का पता लगाया है और विदेशी एजेंसियों से इन खातों का डेटा मांगने की प्रक्रिया अब शुरू हो गई है।

    डिजिटल अरेस्ट स्कैम के सिलसिले में अब तक 26 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और चुराई गई रकम को भेजने के लिए इस्तेमाल किए गए कई बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है। जांचकर्ताओं का कहना है कि ये खाते फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके खोले गए थे और विदेशों में पैसे तुरंत ट्रांसफर करने के लिए इनका इस्तेमाल होता था और खाताधारकों को कमीशन दिया जाता था।

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