Digital Arrest: पुणे में डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए 82 वर्षीय बुजुर्ग की मौत, गंवाए थे 1.2 करोड़
पुणे में एक 82 वर्षीय बुजुर्ग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गए, जिससे उन्हें 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साइबर अपराधियों ने उन्हें जाल में फंसाकर पैसे ऐंठे, जिसके बाद सदमे से उनकी मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पुणे में डिजिटल अरेस्ट से बुजुर्ग की मौत। प्रतीकात्मक इमेज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुणे से एक और डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। यहां एक बुजुर्ग दंपत्ति को इसका शिकार बनाया गया है। इस दंपत्ति को डिजिटल अरेस्ट कर इनसे 1.19 करोड़ की ठगी की गई। इस हादसे से 82 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी उबर नहीं पाए और उनकी मौत हो गई।
एनडीटीवी की खबर के अनुसार ये धोखाधड़ी 16 अगस्त के 17 सितंबर के बीच की गई। इस दंपत्ति की तीन बेटियां हैं, जो विदेश में रहती हैं। खबर के मुताबिक इस दंपत्ति को मुंबई साइबर पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर ठगों ने तीन दिनों तक घर में डिजिटल अरेस्ट रखा।
पुणे में डिजिटल अरेस्ट से बुजुर्ग की मौत
पति की मौत के बाद पीड़ित की बुजुर्ग पत्नी ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई। महिला ने पुलिस को बताया कि ठगों ने उनकी जीवनभर की कमाई लूट ली, जिससे उनके पति को गहरा सदमा लगा। वो इस सदमे को झेल नहीं पाए और उनकी मौत हो गई।
FIR के अनुसार बीते 22 अक्टूबर को उनके पति को घर पर बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि वह इस घटना से "काफी परेशान" थे।
कैसे हुआ इतना बड़ा फ्रॉड?
जांचकर्ताओं ने बताया कि यह घोटाला 16 अगस्त को शुरू हुआ, जब बुजुर्ग दंपत्ति को मुंबई पुलिस में "एनकाउंटर स्पेशलिस्ट" होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया। फोन करने वाले ने उन्हें बताया कि एक प्राइवेट एयरलाइन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनके बैंक खातों और आधार कार्ड की जानकारी का दुरुपयोग किया गया है।
पुणे साइबर पुलिस के वरिष्ठ इंस्पेक्टर स्वप्नाली शिंदे ने कहा, "इसके बाद पीड़ित को एक और धोखेबाज का फोन आया जिसने खुद को CBI के दिल्ली कार्यालय का आईपीएस अधिकारी बताया। फोन करने वाले ने कहा कि दंपति को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 'घर में नजरबंद' या 'जेल में नजरबंद' किया जाएगा।
साइबर अपराधियों ने फंसाया जाल में
ठगों ने दंपत्ति को फोन का कैमरा चालू रखने को कहा, जिससे दंपति तीन दिनों तक "डिजिटल गिरफ्तारी" में रहे। इस दौरान, उन्होंने उनके सारे बैंक खातों और आधार कार्ड की जानकारी निकाल ली। उन्होंने दंपत्ति को पांच अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया। जब ये सारे पैसे ट्रांसफर हो गये तो कॉल कट गया। उसके बाद दंपत्ति को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।