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    Diabetes Treatment: डायबिटीज रोगियों के लिए गुड न्यूज, अब नियमित तौर पर नहीं लेना पड़ेगा इंसुलिन का इंजेक्शन

    Diabetes Treatment । आक्सीजन की कमी की समस्या से पार पाने के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा नया प्रत्यारोपित करने योग्य उपकरण तैयार किया है जिसमें इंसुलिन बनाने वाली न सिर्फ हजारों हजार आइलेट कोशिकाएं होंगी बल्कि उनकी खुद की आक्सीजन फैक्ट्री भी होगी जो शरीर में पाए जाने वाले जल वाष्प (वाटर वेपर) को विखंडित करके आक्सीजन भी बनाएंगी।

    By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 25 Sep 2023 09:16 AM (IST)
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    Diabetes Treatment: डायबिटीज रोगियों के लिए गुड न्यूज

    वाशिंगटन, एएनआइ। Diabetes Treatment Research: नियमित तौर पर इंसुलिन का इंजेक्शन लेने की जरूरत वाले डायबिटीज रोगियों को आने वाले दिनों में बड़ी राहत मिल सकती है। विज्ञानियों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके तहत इंसुलिन बनाने वाली पैनक्रियाटिक आइलेट कोशिकाओं वाले एक उपकरण को रोगियों में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा, जिससे उन्हें बार-बार की परेशानियों से निजात मिल सकती है।

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    जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध

    हालांकि, प्रत्यारोपित की जाने वाली इन कोशिकाओं में जब आक्सीजन समाप्त हो जाएगी तो उनसे इंसुलिन बनना बंद हो जाएगा। यह शोध अध्ययन प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

    (फाइल फोटो)

    आक्सीजन की कमी की समस्या होगी दूर

    आक्सीजन की कमी की समस्या से पार पाने के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा नया प्रत्यारोपित करने योग्य उपकरण तैयार किया है, जिसमें इंसुलिन बनाने वाली न सिर्फ हजारों हजार आइलेट कोशिकाएं होंगी बल्कि उनकी खुद की आक्सीजन फैक्ट्री भी होगी, जो शरीर में पाए जाने वाले जल वाष्प (वाटर वेपर) को विखंडित करके आक्सीजन भी बनाएंगी।

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    चूहों में किया गया परीक्षण

    शोधकर्ताओं ने जब प्रयोग के तौर पर इस उपकरण को चूहों में प्रत्यारोपित किया तो पाया कि इसकी मदद से कम से कम एक महीने तक उन चूहों में ब्लड ग्लूकोज का स्तर एक समान बना रहा। इस सफलता से उत्साहित शोधकर्ताओं में इस उपकरण को व्यापक रूप देने की उम्मीद जगी है। अब च्यूंइगम स्टिक के आकार के इस उपकरण का परीक्षण डायबिटीज टाइप 1 रोगियों पर किए जाने की तैयारी है।

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    डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान साबित होगा उपकरण

    एमआइटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डेनियल एंडरसन ने बताया कि मानव कोशिकाओं से निर्मित यह एक ऐसा सजीव चिकित्सीय उपकरण होगा, जो इंसुलिन स्रावित करेगा। इसमें एक इलेक्ट्रानिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी होगा। शोधकर्ताओं की टीम इस उपकरण को लेकर काफी आशावादी हैं कि यह उपकरण डायबिटीज रोगियों के लिए एक वरदान साबित होगा।

    (फाइल फोटो)

    मौजूदा समय में शोधकर्ताओं का जोर डायबिटीज के इलाज पर है, लेकिन इस तरह के उपकरण को अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है, खासकर जिनमें चिकित्सीय प्रोटीन की बार-बार आपूर्ति की जरूरत होती है।

    बेहतर विकल्प होगा इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का प्रत्यारोपण

    टाइप 1 डायबिटीज के अधिकांश रोगियों को अपना ब्लड ग्लूकोज लेवल बड़ी ही संजीदगी से मॉनिटर करना होता है और रोजाना कम से कम एक बार तो उन्हें इंसुलिन लेना ही पड़ता है। ऐसे में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का प्रत्यारोपण एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि इससे शरीर को जब भी जरूरत होगी ब्लड ग्लूकोज का लेवल सही रखने के लिए इंसुलिन का स्राव होगा।

    हालांकि, ऐसी स्थिति में रोगियों को इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं की जरूरत लेनी पड़ती है। स्टेम सेल से निकाले गए आइलेट सेल से भी वैसा ही परिणाम आया, लेकिन इसमें भी इम्यूनोसप्रेसिव दवा की जरूरत पड़ी।

    पूर्व के उपकरण में आक्सीजन आपूर्ति की रही है बड़ी चुनौती

    शोधकर्ता इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं की जरूरत को खत्म करने के लिए प्रत्यारोपित की जाने वाली कोशिकाओं को आवरित (इनकैप्सूलेट) करने की कोशिश की, ताकि वे इम्यून सिस्टम से उन्हें बचाए रखे, लेकिन इसमें कोशिकाओं को आक्सीजन की आपूर्ति एक चुनौती बनी। इससे निपटने के लिए एक आक्सीजन चैंबर जोड़ना विकल्प था, जिसे समय-समय पर भरा जा सकता है। अब जो नया उपकरण विकसित किया गया है वह इन सब विकल्पों से बेहतर है।