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    कोटा में छात्रों की आत्महत्या मामले को धर्मेंद्र प्रधान ने बताया संवेदनशील, बोले- बच्चों को करेंगे तनावमुक्त

    By AgencyEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Mon, 09 Oct 2023 03:16 AM (IST)

    Dharmendra Pradhan on Kota suicide case शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों का तनाव कम करने के लिए 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में दो बार शामिल होने का विकल्प होगा लेकिन यह अनिवार्य नहीं होगा। प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पहल कर रही है कि कोचिंग की आवश्यकता नहीं है और स्कूली शिक्षा पर्याप्त है।

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    Dharmendra Pradhan on Kota suicide case कोटा सुसाइड केस पर शिक्षा मंत्री का आया बयान।

    पीटीआई, नई दिल्ली। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि कोचिंग संस्थानों के लिए प्रसिद्ध कोटा में छात्रों द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्या करना एक संवेदनशील मुद्दा है और छात्रों को तनाव मुक्त रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि डमी स्कूलों के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस पर गंभीर चर्चा करने का समय आ गया है।

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    बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं

    डमी स्कूल उन स्कूलों को कहा जाता है, जहां छात्रों को नियमित रूप से जाना अनिवार्य नहीं होता। छात्रों का कार्यभार कम करने के नाम पर कोचिंग सेंटर नियमित स्कूलों के साथ गठजोड़ कर रहे हैं। एक विशेष साक्षात्कार में प्रधान ने यह भी कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा।

    सिर्फ एक बार अवसर मिलने के डर से होने वाले तनाव को घटाने के लिए यह विकल्प पेश किया जा रहा है। कोटा में छात्रों की आत्महत्या के सवाल पर प्रधान ने कहा कि किसी की जान नहीं जानी चाहिए। वे हमारे बच्चे हैं। यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है। उनके पास इतनी परिपक्वता या ज्ञान भी नहीं है कि उनके साथ क्या हो रहा है।

    केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पहल कर रही है कि कोचिंग की आवश्यकता नहीं है और स्कूली शिक्षा पर्याप्त है।

    देश में पर्याप्त सकारात्मक माडल

    शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश में पर्याप्त सकारात्मक माडल हैं। उन्हें प्रौद्योगिकी, सामाजिक पहुंच, देखभाल और परामर्श के माध्यम से अमल में लाया जाना चाहिए। एनसीईआरटी इस पर विचार-मंथन कर रहा है। शिक्षा विभाग भी काम कर रहा है। राज्य सरकार भी विभिन्न परिपत्रों और दिशानिर्देशों के साथ आ रही है, लेकिन समाज को इस मुद्दे पर कार्यान्वयन के मोर्चे पर मिलकर काम करने की जरूरत है।

    इस साल अगस्त में जारी करीकुलम फ्रेमवर्क में शिक्षा मंत्रालय ने 10वीं और 12वीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने का प्रस्ताव किया है। इस बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा, विद्यार्थियों के पास इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई की तरह ही साल में दो बार बोर्ड परीक्षा में शामिल होने का विकल्प होगा। वे अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर चुन सकते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा, कोई बाध्यता नहीं होगी।

    शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यार्थी अक्सर यह सोचकर तनावग्रस्त हो जाते हैं कि उनका एक साल बर्बाद हो गया। उन्होंने मौका गंवा दिया या वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। सिर्फ एक अवसर के डर से उत्पन्न होने वाले तनाव को कम करने के लिए यह विकल्प पेश किया जा रहा है।

    प्रधान ने कहा कि यदि किसी विद्यार्थी को लगता है कि वह पूरी तरह से तैयार है और परीक्षा के पहले सेट में प्राप्तांक (स्कोर) से संतुष्ट है, तो वह अगली परीक्षा में शामिल नहीं होने का विकल्प चुन सकता है। कुछ भी अनिवार्य नहीं होगा।

    सीएबीई को नए सिरे से बनाया जा रहा

    धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) को नए सिरे से बनाया जा रहा है, क्योंकि इसका पुराना संस्करण वास्तव में व्यापक है। सीएबीई एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति है, जो शिक्षा के बारे में नीतिगत निर्णयों पर सरकार को सलाह देती है।

    प्रधान ने कहा कि ऐसे समय में जब नई शिक्षा नीति को लागू करके एक आदर्श बदलाव किया जा रहा है, सीएबीई को भी फिर से तैयार करने की जरूरत है, क्योंकि आज की शिक्षा प्रणाली की मांगें अलग हैं।