Parliament: सोनिया गांधी को धर्मेंद्र प्रधान ने दिया जवाब, कहा-एनईपी जनता के भविष्य के लिए नीति
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर सवाल उठाए जाने पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को जवाब दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार और शासन की कमी देश के शैक्षिक अतीत की परिभाषित विशेषताएं थीं। एनईपी 2020 इस अपमानजनक अतीत से एक निर्णायक विराम का प्रतिनिधित्व करती है। यह लोगों की लोगों द्वारा और लोगों के भविष्य के लिए नीति है।

आईएएनएस, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर सवाल उठाए जाने पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को जवाब दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार और शासन की कमी देश के शैक्षिक अतीत की परिभाषित विशेषताएं थीं।
लोगों द्वारा और लोगों के भविष्य के लिए नीति
एनईपी 2020 इस अपमानजनक अतीत से एक निर्णायक विराम का प्रतिनिधित्व करती है। एनईपी केवल एक शिक्षा सुधार नहीं बल्कि यह बौद्धिक उपनिवेशवाद से मुक्ति भी है, जिसका भारत लंबे समय से इंतजार कर रहा था। यह लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के भविष्य के लिए नीति है।
सोनिया ने हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार पर एक ऐसे एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया था, जो शिक्षा क्षेत्र को नुकसानदेह नतीजों की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय शिक्षा को तीन सी केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के शैक्षिक परिवर्तन की सच्ची तस्वीर अंग्रेजी अखबार में छपी
उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित लेख में यह बात कही। इसी अखबार में बुधवार को प्रधान का लेख भी छपा, जिसे उन्होंने एक्स पर साझा किया है। सोनिया के लेख का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि वह भारत के शैक्षिक परिवर्तन की सच्ची तस्वीर दिखाने के लिए लिखते हैं।
देश ने पिछली सरकारों द्वारा शिक्षा प्रणाली की घोर उपेक्षा देखी
प्रधान ने कहा कि यह तर्क दिया गया है कि मोदी सरकार के पिछले 11 वर्ष के कार्यकाल में भारत में शिक्षा प्रणाली अपने रास्ते से भटक गई है। वास्तव में सच्चाई कुछ और है। देश ने पिछली सरकारों द्वारा शिक्षा प्रणाली की घोर उपेक्षा देखी।
1986 में बड़ा नीतिगत अपडेट किया गया
जब दुनियाभर के देशों ने तेजी से विकसित हो रही दुनिया के लिए शिक्षा की नई कल्पना की, तब भारत का शैक्षिक ढांचा समय के साथ-साथ अटका रहा, जिसमें 1986 में बड़ा नीतिगत अपडेट किया गया था। इसे 1992 में मामूली रूप से संशोधित किया गया था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।